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No bridge on river: पुल नहीं होने से उफनती नदी को पार कर बच्चे जाते हैं स्कूल, जान का बना रहता है खतरा

No bridge on river: शासन-प्रशासन की उदासीनता की वजह से नदी पर नहीं बन पाया है पुल, जनप्रतिनिधियों से पुल बनाने की कई बार मांग कर चुके हैं ग्रामीण, लेकिन अब तक नहीं हो पाई सुनवाई

कोरीयाJun 28, 2025 / 05:57 pm

rampravesh vishwakarma

No bridge on river

Students

बैकुंठपुर/बरबसपुर. प्रशासनिक उदासीनता के कारण एमसीबी जिले के मनेंद्रगढ़ विकासखंड अंतर्गत ग्राम सोनवर्षा स्थित हलफली नदी पर आजादी के बाद से अब तक पुल नहीं (No bridge on river) बन पाया है। ऐसे में यहां के आंगनबाड़ी से लेकर मिडिल स्कूल तक के बच्चे बारिश के सीजन में उफनती नदी को पार कर भविष्य गढऩे स्कूल जाते है। इस दौरान उनकी जान पर खतरा बना रहता है। ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधियों से लेकर प्रशासन तक कई बार गुहार लगाई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
मनेद्रगढ़ विकासखंड के ग्राम पंचायत सोनवर्षा में बोधन घाट हलफली नदी में आज तक पुल नहीं (No bridge on river) बन पाया है। इससे सोनवर्षा के ग्राम तिहनपुर के बच्चे नदी को पार कर स्कूलपारा पहुंचते हैं, जहां आंगनबाड़ी, प्राइमरी व मिडिल स्कूल है। नदी में बाढ़ आने पर बच्चों की कई दिन तक पढ़ाई बंद हो जाती है। हालांकि तिहनपुर के बच्चे दूसरे रास्ते से स्कूल पहुंच सकते हैं।
River without bridge
Student across river
लेकिन इसके लिए उन्हें 5 किमी का सफर तय करना पड़ेगा। उन्हें तिहनपुर से ग्राम पंचायत उजियारपुर और फिर सोनवर्षा स्कूलपारा पहुंचना पड़ेगा। ग्रामीणों का कहना है कि बारिश के दिनों में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। मामले में कई बार वे जनप्रतिनिधियों से पुल बनाने की मांग (No bridge on river) कर चुके हैं। लेकिन आज तक किसी भी जनप्रतिनिधि ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है।
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पगडंडी के रास्ते से पढऩे जाते हैं स्कूल

ग्राम तिहनपुर के बच्चे बारिश में कीचड़ और पानी से भरे रास्ते से स्कूल में पढ़ाई करने जाते हैं। गांव में सडक़ों की हालत बद्तर है। कई जगहों पर पानी भरने से लोगों को आने-जाने में परेशानी होती है। छात्र-छात्राओं का कहना है कि स्कूल जाते समय कई बार रास्ते में गिरने से चोट लगती है। कॉपी-किताबें और यूनिफॉर्म भी गंदे हो जाते हैं।
कई बार नदी में पानी का स्तर बढऩे से स्कूल नहीं (No bridge on river) जा पाते हैं। अगर यहां पुल बन जाए तो हम रोज समय पर स्कूल जा पाएंगे। नदी में पानी भरने से हमें दूसरा रास्ता लेना पड़ता है। लेकिन स्कूल पहुंचने में एक से डेढ़ घंटे का अतिरिक्त समय लगता है।
No bridge on river
Students go to school from narrow way

No bridge on river: अभिभावकों का ये है कहना

अभिभावकों का कहना है कि बच्चे रोजाना खतरनाक रास्ते (No bridge on river) से स्कूल जाते हैं। लागातार बारिश होने और नदी में पानी ज्यादा भरने से डर लगता है कि कहीं बच्चे बह न जाएं। बच्चों को भी बहुत परेशानी होती है। ग्रामीणों और बच्चों ने प्रशासन से पुल निर्माण कराने मांग रखी है। इससे बच्चों को सुरक्षित, सुगम रास्ता मिलेऔर पढ़ाई भी बाधित नहीं होगी।
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सचिव व सरपंच का है ये कहना

पंचायत सचिव पिक्कू राम का कहना है कि मेरी पदस्थापना (No bridge on river) से पहले कई बार ग्राम पंचायत से नदी में पुल बनाने का प्रस्ताव बनाकर भेजा गया है। लेकिन स्वीकृति आज तक नहीं मिल पाई है। अभी आंगनबाड़ी से लेकर आठवीं तक के बच्चे नदी को पार कर विद्यालय जाते हैं।
वहीं सरपंच श्यामवती का कहना है कि मेरे से पहले कई बार पंचायत से प्रस्ताव दिया गया है। अभी भी मैं सुशासन तिहार में भी अर्जी लगाई थी। लेकिन स्वीकृति अभी तक नहीं मिल पाई है। आंगनबाड़ी, प्राइमरी और मिडिल नदी को पार कर स्कूल के बच्चे जाते हैं। पुल बनाने को लेकर प्रयास किया जा रहा है।

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