सरकारी जमीन पर कब्जा
जांच में खुलासा हुआ है कि यह सिंडिकेट करीब 60 एकड़ सरकारी जमीन पर 41 अवैध रिहायशी और व्यावसायिक इमारतों के निर्माण में शामिल हो सकता है। बताया जा रहा है कि ये निर्माण फर्जी दस्तावेज और भ्रष्टाचार के दम पर किए गए थे। यह पूरा नेटवर्क नगर रचना विभाग के भीतर मौजूद कुछ भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से संचालित हो रहा था। मंगलवार सुबह करीब 7 बजे ईडी की टीमें वसई में संदिग्ध आरोपियों से जुड़े ठिकानों पर पहुंची। जिससे इलाके में हलचल मच गई। हालांकि, किसके-किसके घर और दफ्तरों पर केंद्रीय जांच एजेंसी ने छापा मारा, इस बारे में अब तक आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है।
करोड़ों के घूस का आरोप
रिपोर्ट्स के अनुसार, वसई-विरार क्षेत्र में अवैध निर्माण के लिए जरूरी फाइलों को मंजूरी दिलाने के बदले भारी भरकम रिश्वत दी जा रही थी। यह लेन-देन आर्किटेक्ट्स और एजेंटों के माध्यम से किया जाता था। ईडी को इस गोरखधंधे से जुड़े वित्तीय लेन-देन, नकद राशि और संपत्ति की जानकारी मिली है।
इससे पहले भी ईडी ने वसई-विरार में 13 स्थानों पर छापे मारे थे। उन कार्रवाइयों में वसई-विरार महानगरपालिका के नगर रचना विभाग के उपसंचालक रेड्डी के मुंबई और हैदराबाद स्थित घरों से 9 करोड़ रुपये नकद, 23 करोड़ रुपये मूल्य के सोने और आभूषण, तथा महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए गए थे।
ईडी की ताजा कार्रवाई नगर रचना विभाग में वर्षों से फैले भ्रष्टाचार की जड़ें उखाड़ने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है। ईडी के इस एक्शन से स्थानीय लोगों में वसई-विरार क्षेत्र में अवैध निर्माण माफिया पर शिकंजा कसने की उम्मीद बढ़ गई है। फिलहाल ईडी की कार्रवाई जारी है और जल्द ही इस मामले में चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं।