देश के 52वें सीजेआई के रूप में 14 मई को शपथ लेने के बाद जस्टिस गवई रविवार को पहली बार महाराष्ट्र पहुंचे थे। वह महाराष्ट्र और गोवा की बार काउंसिल द्वारा आयोजित सम्मान समारोह के लिए मुंबई आये थे। जब वे मुंबई पहुंचे, तो राज्य के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और मुंबई पुलिस कमिश्नर कोई अगवानी के लिए मौजूद नहीं थे। इस पर उन्होंने सार्वजनिक रूप से अपनी नाराजगी जताई। हालांकि उनकी नाराजगी जाहिर करने के कुछ ही घंटों बाद एक अन्य कार्यक्रम में ये तीनों अधिकारी उपस्थित हुए।
सीजेआई गवई ने समारोह में कहा कि वह ऐसी छोटी चीजों पर ध्यान नहीं देना चाहते, लेकिन इस बात पर जोर दिया कि लोकतंत्र के सभी तीन स्तंभ समान हैं और उन्हें एक-दूसरे के प्रति सम्मान दिखाना चाहिए। उन्होने कहा, ‘‘मैं जब वहां पहुंचा तो राज्य महाराष्ट्र के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक या मुंबई पुलिस कमिश्नर मौजूद नहीं थे। अगर वे नहीं आना चाहते थे तो उन्हें सोचना चाहिए था कि मेरे (शपथ ग्रहण करने के बाद) पहली बार यहां पहुंचने पर ऐसा करना सही रहेगा या नहीं।’’
अनुच्छेद 142 का किया जिक्र
महाराष्ट्र से ही ताल्लुक रखने वाले गवई ने कहा कि यह संस्था के अन्य संगठनों का न्यायपालिका के प्रति सम्मान का सवाल है। सीजेआई ने कहा कि वह प्रोटोकॉल के पालन पर जोर नहीं दे रहे हैं। गवई ने कहा, ‘‘जब किसी संगठन या संस्था का प्रमुख पहली बार राज्य में आ रहा हो खास तौर पर जब वह भी उसी राज्य का हो, तो उन्हें खुद सोचना चाहिए कि उनके साथ जो व्यवहार किया गया वह सही था या नहीं। अगर मेरी जगह कोई और होता तो अनुच्छेद 142 के प्रावधानों पर विचार किया जाता।’’ भारतीय संविधान का अनुच्छेद 142 सुप्रीम कोर्ट को अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय करने के लिए आवश्यक समझे जाने वाले आदेश देने की शक्ति प्रदान करता है। यह अनुच्छेद न्यायालय को व्यक्तियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए आदेश देने की भी अनुमति देता है।
गौरतलब हो कि सीजेआई भारत सरकार की Warrant of Precedence में छठे स्थान पर होते हैं। उनकी आधिकारिक यात्रा पर प्रोटोकॉल के तहत राज्य के मुख्य सचिव, डीजीपी और पुलिस कमिश्नर जैसे वरिष्ठ अधिकारी उन्हें रिसीव करते हैं। उन्हें राजकीय आतिथ्य, सरकारी वाहन, एस्कॉर्ट, और गेस्ट हाउस की सुविधा मिलती है। कार्यक्रमों में उन्हें मुख्य अतिथि का दर्जा दिया जाता है।