रक्षा प्रौद्योगिकी से जुड़ी कंपनी में काम करने वाले 27 वर्षीय रविंद्र वर्मा को पिछले सप्ताह आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने गिरफ्तार किया था। वर्मा ठाणे जिले के कलवा का निवासी है। जांच एजेंसी ने दावा किया है कि वर्मा ने स्केच, डायग्राम और ऑडियो नोट के माध्यम से युद्धपोतों और पनडुब्बियों के बारे में संवेदनशील जानकारी पाकिस्तानी खुफिया एजेंट को दी। एटीएस ने दावा किया कि जानकारी के बदले में वर्मा को भारत और विदेशों के विभिन्न बैंक खातों से पैसे मिले।
हालांकि बचाव पक्ष ने दलील दी कि वर्मा को फंसाया गया है और पुलिस के पास उनके मुवक्किल वर्मा के खिलाफ ठोस सबूत नहीं हैं। जबकि पुलिस का कहना है कि जांच के दौरान पता चला कि फेसबुक पर एक पाकिस्तानी एजेंट (महिला बनकर) द्वारा हनीट्रैप में फंसाए जाने के बाद वर्मा ने गोपनीय जानकारी साझा की और बदले में उसे पैसे भी मिले। वर्मा ने जानबूझकर कई बार संवेदनशील जानकारी देश के दुश्मनों से साझा की।
इंजीनियर रविंद्र वर्मा की वकील रुपाली शिंदे ने कहा, “पुलिस ने अदालत में दलील दी कि उन्हें रविंद्र वर्मा से और पूछताछ करनी है, लेकिन अदालत ने न्यायिक हिरासत में भेज दिया। इस मामले में जिस लड़की का नाम प्रीति जायसवाल बताया गया है, वह सही नहीं है। लड़की का असली नाम जसप्रीत है। वह रविंद्र वर्मा के परिवार से भी बात किया करती थी और उसे हनीट्रैप करने की कोशिश कर रही थी। रविंद्र वर्मा के पास सिर्फ एक ही सिम कार्ड था, जिसे पुलिस ने उनके मोबाइल फोन के साथ जब्त कर लिया है। अब तक की जांच में पुलिस को रविंद्र वर्मा के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिला है।”
रविंद्र वर्मा एक रक्षा प्रौद्योगिकी फर्म में कनिष्ठ अभियंता के रूप में काम करता था और अपने काम के कारण उसे दक्षिण मुंबई में नौसेना डॉकयार्ड तक पहुंच प्राप्त थी। एटीएस ने कहा कि आरोपी नौसेना के जहाजों और पनडुब्बियों पर भी जाता था। एटीएस को संदेह है कि उसने पाकिस्तानी एजेंटों को पनडुब्बियों और युद्धपोतों के नाम भी बताए और उससे जुड़ी अहम जानकारी भी दी।