आगामी बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC Election) के चुनाव को देखते हुए सभी प्रमुख राजनीतिक दल पूरी ताकत झोंकते नजर आ रहे हैं। इसी कड़ी में बीजेपी ने उत्तर भारतीय समुदाय को अपने पक्ष में करने के लिए एक विशेष सौहार्द कार्यक्रम का आयोजन किया। यह कार्यक्रम उत्तर भारतीय संघ संस्था के माध्यम से आयोजित किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में उत्तर भारतीय नागरिकों की भागीदारी देखी गई। इसके जरिए बीजेपी ने मुंबई में बसे लाखों उत्तर भारतीय वोटरों को साधा है।
सियासी जमीन खिसकी तो मराठी याद आई- सिंह
महाराष्ट्र दिवस के अवसर पर गुरुवार को आयोजित इस कार्यक्रम में उत्तर भारतीय समाज ने मराठी-गैर मराठी के बीच सामंजस्य और एकता का संदेश दिया। दिलचस्प बात यह रही कि कार्यक्रम की शुरुआत मराठी भाषा में संबोधन से हुई। कृपाशंकर सिंह ने कहा, “हिंदी माझी आई, मराठी माझी मावशी (हिंदी मेरी मां है, मराठी मेरी मौसी है)।”
इस दौरान बीजेपी नेता ने बिना किसी का नाम लिए कहा कि कुछ लोग चुनाव आते ही मराठी और गैर-मराठी के बीच खाई पैदा करना चाहते हैं, जब उन्हें अपनी राजनीतिक जमीन खिसकती नजर आती है तभी वे भाषा का सहारा लेते हैं।
हम हिंदू हैं, लेकिन हिंदी नहीं- राज ठाकरे
गौरतलब हो कि महाराष्ट्र की बीजेपी नीत महायुति सरकार ने नई शिक्षा नीति के तहत प्राइमरी स्कूलों में हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाने का आदेश दिया था। लेकिन कड़े विरोध के बाद उस फैसले को वापस लेना पड़ा। इस मुद्दे को महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने भी जोरशोर से उठाया था। राज ठाकरे ने विरोध में कहा था कि “हम हिंदू हैं, लेकिन हिंदी नहीं। राज्य में मराठी के अलावा किसी और भाषा को बढ़ावा नहीं देने देंगे। हिंदी को थोपा जा रहा है, जो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।” जिसके बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बिना किसी का नाम लिए कहा था कि अंग्रेजी भाषा को बढ़ावा दिया जाता है लेकिन हिंदी जैसी भारतीय भाषा का विरोध किया जाता है। ‘कर्मभूमि है महाराष्ट्र’
उन्होंने कहा, उत्तर भारतीय समाज महाराष्ट्र के विकास का बराबर का भागीदार है। यह राज्य के निर्माण में योगदान देने वाला समर्पित नागरिक वर्ग भी है। जबकि उत्तर भारतीय संघ के अध्यक्ष संतोष सिंह ने कहा कि उत्तर भारतीय समाज महाराष्ट्र को न केवल रोजगार का स्थल मानता है, बल्कि कर्मभूमि भी मानता है।