महाराष्ट्र के ठाणे जिले (Thane News) के रहने वाले 44 वर्षीय प्रवीण अशोक चन्ने (Pravin Channe) ने भले ही इस दुनिया को अलविदा कह दिया हो, लेकिन उनके परिवार के निर्णय ने उन्हें सदा के लिए अमर बना दिया है। ब्रेन हेमरेज (मस्तिष्क में रक्तस्राव) के कारण डॉक्टरों ने जब प्रवीण को मृत घोषित किया, तब उनके पिता अशोक नारायण चन्ने और पूरे परिवार ने एक साहसी और प्रेरणादायक फैसला लिया और वो था प्रवीण के अंगों को दान कर दूसरों को नई जिंदगी देने का।
जानकारी के मुताबिक, प्रवीण चन्ने रिलायंस जियो में कार्यरत थे। कुछ दिनों पहले अचानक ब्लड प्रेशर बढ़ने के कारण उनके मस्तिष्क में रक्तस्राव हुआ, जिससे उनकी हालत गंभीर हो गई। डोंबिवली (Dombivli News) स्थित एम्स हॉस्पिटल में इलाज के दौरान डॉक्टरों ने उन्हें ब्रेन डेड घोषित किया। इसी समय अस्पताल के डॉक्टरों ने चन्ने परिवार को अंगदान के लिए प्रेरित किया और बताया की प्रवीण के अंग ठीक हैं।
इस पर प्रवीण के पिता और अन्य परिजनों ने मिलकर अंगदान के लिए सहमति दी। इसके बाद प्रवीण की दोनों किडनी, फेफड़े, लिवर और आंखें अलग-अलग ज़रूरतमंद मरीजों को तुरंत भेजी गई। ठाणे के जुपिटर हॉस्पिटल, डीवाई पाटील हॉस्पिटल (पुणे), नानावटी हॉस्पिटल (मुंबई) और फोर्टिस हॉस्पिटल (मुलुंड) ने समय रहते ये अंग प्राप्त किए। दुर्भाग्यवश कुछ दिक्कत होने के कारण हृदय संरक्षित नहीं किया जा सका।
भले ही प्रवीण इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनके शरीर का हिस्सा आज भी कई लोगों को जीवन दे रहा है। प्रवीण की मृत्यु केवल एक अंत नहीं, बल्कि कई लोगों के लिए एक नई शुरुआत बन गई।
एम्स हॉस्पिटल के स्टाफ और डॉक्टरों ने प्रवीण चन्ने को पूरे सम्मान के साथ श्रद्धांजलि अर्पित की। अस्पताल की ओर से जारी बयान में कहा गया, सिर्फ 44 साल की उम्र में ब्रेन हेमरेज का शिकार हुए प्रवीण के परिवार ने सबसे निःस्वार्थ निर्णय लिया – जीवन का उपहार देने का। उनके अंगों के दान से कई परिवारों को आशा, उपचार और नया जीवन मिला।
आज ठाणे जिले के वाशिंद इलाके की हनुमान कॉलोनी में रहने वाला चन्ने परिवार पूरे समाज के लिए एक प्रेरणा है। इसी तरह प्रवीण चन्ने अब सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि एक मिसाल बन चुके हैं।
Hindi News / Mumbai / मर कर भी जिंदा रहेगा लाडला! पिता ने नम आंखों से लिया साहसिक फैसला, कई को दी नई जिंदगी