जस्टिस सूर्यकांत (Justice Surya Kant) की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने आदेश में कहा, “हमारे विचार में संविधान के तहत स्थानीय स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए समय-समय पर चुनाव कराना आवश्यक है, और इसे सुनिश्चित किया जाना चाहिए।”
ओबीसी आरक्षण पर फंसा था पेंच
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव पिछले कई वर्षों से नहीं हुए हैं, जिसका मुख्य कारण ओबीसी आरक्षण से जुड़ी विभिन्न लंबित कानूनी और प्रशासनिक जटिलताएं रही हैं। कोर्ट ने इस देरी को लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए सही नहीं माना है और समयबद्ध चुनाव सुनिश्चित करने के निर्देश दिए है। बता दें कि महाराष्ट्र में बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) समेत 29 नगर निगमों (महानगरपालिका), 257 नगर पालिकाओं, 26 जिला परिषदों और 289 पंचायत समितियों के चुनाव लंबित हैं।
हाल ही में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि राज्य में महायुति सरकार आने के बाद हम यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि राज्य में स्थानीय निकायों के चुनाव जल्द से जल्द हों। इस दिशा में सरकार कदम उठा रही है।
नवंबर 2024 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद राजनीतिक पार्टियों ने निकाय चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी थीं। उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) ने मुंबई नगर निगम (BMC) चुनाव अपने दम पर लड़ने का ऐलान किया है। लेकिन बाकि दलों ने अपने पत्ते नहीं खोले है।
गौरतलब हो कि 2017 के बीएमसी चुनावों में (अविभाजित) शिवसेना ने 84 सीट पर, जबकि बीजेपी ने 82 सीट पर जीत हासिल की थी। अविभाजित शिवसेना विधायकों और सांसदों के एक बड़े हिस्से ने जून 2022 में उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत कर दी और एकनाथ शिंदे नीत खेमे में शामिल हो गये थे, जिसे बाद में चुनाव आयोग ने असली शिवसेना के रूप में मान्यता दी।