‘अखंड शिवसेना’ पर जोर देते हुए गजानन कीर्तिकर ने आगे कहा, आज भी मुझे लगता है कि एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे को एक साथ आना चाहिए। अगर वे मेरी बात सुन रहे हैं, तो मुझे बात करने के लिए बुलाएं। मैं दोनों से बातचीत करूंगा। मुझे विश्वास है कि वे मेरे अनुभव और उम्र का मान रखेंगे।
उन्होंने कहा, “दोनों शिवसेनाएं एक साथ आनी चाहिए। दो गुट बनने की वजह से पार्टी को बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। अब दो-दो स्थापना दिवस मनाए जाते हैं, दो-दो दशहरा रैली होती हैं। यदि शिवसेना के ये दोनों धड़ एकजुट हो जाए, तो महाराष्ट्र में शिवसेना की कितनी बड़ी शक्ति खड़ी हो सकती है। आज भी मुझे लगता है कि दोनों शिवसेनाओं को एक होना चाहिए और इसके लिए मैं जरूर प्रयास करूंगा।”
उद्धव ठाकरे ने छोड़ा हिंदुत्व का रास्ता- कीर्तिकर
गजानन कीर्तिकर ने उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें हिंदुत्व का रास्ता नहीं छोड़ना चाहिए था। लाखों शिवसैनिकों के दिलों में आज भी बालासाहेब के विचार बसे हैं। कांग्रेस और एनसीपी के साथ जाने का निर्णय भी गलत था, इसलिए एकनाथ शिंदे को बालासाहेब की विचारधारा वाली शिवसेना अलग को करना पड़ा। उन्होंने कहा कि “आज शिवसेना का चिन्ह धनुष-बाण और नाम एकनाथ शिंदे के पास है, और बालासाहेब के विचारों पर चलने वाली शिवसेना का नेतृत्व वही कर रहे हैं। आगामी महापालिका चुनावों में यह स्पष्ट हो जाएगा।”
कीर्तिकर ने यह भी कहा कि शिंदे की शिवसेना महाराष्ट्र में बीजेपी के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है और भगवा विचार ही उसका मूल आधार है। गजानन कीर्तिकर के इस बयान से यह साफ है कि पुराने शिवसैनिकों को आज भी पार्टी के एक होने की उम्मीद है।