एक अप्रैल से नए वित्त वर्ष की शुरुआत के साथ अायकर के नियमों में भी कई बदलाव हो गए हैं।
•Apr 02, 2018 / 04:10 pm•
Manoj Kumar
नई दिल्ली। एक अप्रैल से नया वित्त वर्ष शुरू हो गया है। इसके साथ ही नए वित्त वर्ष से अायकर के नियमों में भी कई बदलाव हो गए हैं। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2018-19 के आम बजट में इन बदलावों की घोषणा की थी। आयकर में हुए इन बदलावों से आपकी जिंदगी पर बड़ा प्रभाव पड़ने वाला है। हम आपको लिए लाए हैं वर्ष 2018में आयकर में हुए बदलावों पर पूरी जानकारी। इस जानकारी की मदद से आप नए वित्त वर्ष में बेहतर प्लानिंग कर सकते हैं।
1- यदि आप 31 जुलाई 2018 तक अपना आईटीआर जमा नहीं करते हैं तो आपको 10,000 रुपए तक का जुर्माना देना पड़ सकता है। नए नियमों के अनुसार 31 दिसंबर से पहले रिटर्न दाखिल करने पर 5,000 रुपए और 31 दिसंबर के बाद रिटर्न दाखिल करने पर 10,000 रुपए का जर्माना देना होगा। हालांकि, 5 लाख रुपए तक की आय वालों को 1,000 रुपए का जुर्माना ही देना होगा।
2- नए वित्त वर्ष से संशोधित रिटर्न फाइल करने की समय सीमा घटा दी गई है। अब करदाताओं को संशोधित रिटर्न दाखिल करने के लिए केवल एक साल का समय मिलेगा। अभी तक करदाता दो साल तक संशोधित रिटर्न दाखिल कर सकते थे।
3- नए वित्त वर्ष में वेतन में शामिल मेडिकल रीइंबर्समेंट और ट्रांसपोर्ट अलाउंस को करयुक्त राशि घोषित किया गया है। इस कारण अब आपको ज्यादा टैक्स देना पड़ सकता है। हालांकि 5 लाख रुपए तक की आय पर 40 हजार रुपए का स्टेंडर्ड डिडक्शन होने के कारण कुछ राहत मिल सकती है। अभी तक 19,200 रुपए तक के परिवहन भत्ते और 15,000 रुपए तक के मेडिकल रीइंबर्समेंट टैक्स के दायरे से बाहर थे।
4- वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वित्त वर्ष 2018-19 में टैक्स देनदारी पर वसूला जाने वाला सेस भी बढ़ा दिया है। इसमें एक फीसदी की बढ़ोत्तरी की गई है। अब आपको आयकर रिटर्न पर 4 फीसदी सेस देना होगा। इसको 'एजुकेशन एंड हेल्थ सेस' का नाम दिया गया है।
5- सरकार ने लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस (एलटीसीजी) पर 10 फीसदी की दर से टैक्स लगाया है। यह इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंड और शेयरों की बिक्री से मिलने वाले लाभ पर लागू होगा। हालांकि एक वित्त वर्ष में 1 लाख रुपए तक के एलटीसीजी पर टैक्स छूट मिलेगी।
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