राज्य के बाद केन्द्र सरकार ने भी नागौरी पान मैथी को किया मसाला बोर्ड की सूची में शामिल, जानिए क्या होगा फायदा
अब जीआई टैग की राह हुई आसान, राजस्थान पत्रिका पिछले चार साल से चल रहा अभियान, अब तक भारत सरकार के मसाला बोर्ड की सूची में 52 मसाला फसलों थीं, अब 53वें नम्बर पर हमारी नागौरी पान मैथी को इस श्रेणी में शामिल किया गया है
नागौर. नागौर जिले में बहुतायात से उगाई जाने वाली विश्व प्रसिद्ध ‘नागौरी पान मैथी’ को केंद्र सरकार ने गजट नोटिफिकेशन जारी करते हुए मसाला बोर्ड की मसाला सूची में शामिल कर लिया है। अब तक भारत सरकार के मसाला बोर्ड की सूची में 52 मसाला फसलों थीं, अब 53वेंनम्बर पर हमारी नागौरी पान मैथी को इस श्रेणी में शामिल किया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे विधिक रूप से नागौरी पान मैथी अब निर्यात एवं आयात में भारत की एपेडा एवं अन्य एजेंसियों के माध्यम से एचएसएस कोड जारी करके काम में ली जा सकेगी, जिससे निर्यात बढऩे के साथ ही इसका उत्पादन करने वाले किसानों को भी फायदा होगा।
नागौरी पान मैथी का खेत गौरतलब है कि नागौर जिले के मूण्डवा, खींवसर, नागौर व मेड़ता तहसील क्षेत्र में उगाई जाने वाली नागौरी पान मैथी देश ही नहीं विदेशों में भी रसोई की खास मांग बनी हुई है। पान मैथी की मांग एवं गुणों को देखते हुए देश की कई नामी कम्पनियां इसे सालों से मसाले के रूप में प्रचारित कर बेच रही हैं। अपनी महक व औषधीय गुणों के चलते नागौरी मैथी का कारोबार दिनों-दिन बढ़ रहा है। यह नागौर जिले के किसानों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। अपनी खुशबू एवं गुणों के लिए मशहूर ‘नागौरी पान मैथी’ को अब आधिकारिक रूप से भारत सरकार के मसाला बोर्ड की अनुसूची-1 में शामिल कर लिया गया है, जिससे जियोग्राफिकल इंडिकेशन (जीआई) टैग पाने का रास्ता साफ हो गया है।
पत्रिका में प्रकाशित समाचार पत्रिका के प्रयास ला रहे रंग पान मैथी को मसाला बोर्ड की सूची में शामिल करने व जीआई टैग दिलाने के लिए राजस्थान पत्रिका पिछले चार साल से अभियान चला रही है। पत्रिका ने एक फरवरी 2024 को ‘पानमैथी को दुनिया मान रही मसाला पर सरकार नहीं’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था। इसके बाद जिला कल्क्टर अरुण कुमार पुरोहित ने 27 फरवरी 2024 को पान मैथी को जीआई टैग दिलाने के लिए अनुसंधान करके ऑनलाइन आवेदन करने के लिए कमेटी गठित की थी। कमेटी में शामिल कृषि मंडी सचिव रघुनाथराम सिंवर व कृषि कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर विकास पावडिय़ा ने अथक प्रयास करके रिपोर्ट कलक्टर के समक्ष पेश की तथा कमेटी की कई बैठकों के बाद ऑनलाइन आवेदन किया गया। 12 दिसम्बर 2024 को पत्रिका ने फिर ‘भारतीय मसाला बोर्ड की अनुसूची में शामिल नहीं हो रही नागौरी पान मैथी, कैसे मिलेगा जीआई टैग’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर जिम्मेदारों का ध्यान दिलाया। पत्रिका की ओर से प्रकाशित समाचारों के बाद वर्ष 2021 व उसके बाद लगातार नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने इस मुद्दे को समय-समय पर लोकसभा में उठाकर सरकार से मसाला बोर्ड की सूची में शामिल करने व जीआई टैग देने की मांग की। कुछ माह पूर्व राजस्थान किसान आयोग के अध्यक्ष सीआर चौधरी ने भी पान मैथी को मसाला बोर्ड की सूची में शामिल करने व जीआई टैग दिलाने के लिए सरकार को पत्र लिखा। मसाला बोर्ड के पूर्व सदस्य भोजराज सारस्वत ने भी अपने कार्यकाल में इस मुद्दे को उठाकर सरकार तक पहुंचाया। इससे पहले वर्ष 2016 में राजस्थान पत्रिका की ओर से चलाए गए अभियान के बाद ही राज्य सरकार ने पान मैथी को वर्ष 2017 में नोटिफाई कमोडिटी में शामिल किया था।
पत्रिका में प्रकाशित समाचार 35 वर्ष बाद किया संशोधन भारत सरकार के उद्योग और वाणिज्य मंत्रालय ने 23 मई 2025 को जारी गजट अधिसूचना के जरिए स्पाइस बोर्ड एक्ट, 1986 में संशोधन करते हुए ‘पानमैथी’ को अनुसूची-1 में क्रमांक 53 पर जोड़ा है। साउथ एशिया बायोटेक्नोलॉजी सेंटर के संस्थापक निदेशक भागीरथ चौधरी ने बताया कि मसाला बोर्ड के अधिनियमन संख्या एसओ123(ई) जो कि 26 फरवरी, 1987 द्वारा प्रकाशित किया गया था और अंतिम बार अधिसूचना संख्या एसओ 3130, 8 नवंबर, 1990 के माध्यम से संशोधित की गई थी। पिछले 35 वर्षों में पहली बार मसाला बोर्ड की अनुसूची-1 में संशोधन कर क्रमांक 53 पर ‘पानमैथी’ को जोड़ा गया है।
ये होंगे लाभ – बाजार में बेहतर दाम – घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रांड मूल्य – नकली उत्पादों पर रोक – नए बाजारों में पहुंच। किसानों के लिए खुला खुशहाली का रास्ता
नागौरी पान मैथी को मसाला बोर्ड की अनुसूची-1 में शामिल करना एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि अब नागौरी पान मैथी, मसाला फसल के नाम से जानी जाएगी। भारत में सिर्फ राजस्थान के नागौर में उत्पादित होने वाली नागौरी पान मैथी के मसाला बोर्ड में शामिल होने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में सीधा निर्यात किया जा सकेगा। नागौर के किसान अब इस महत्वपूर्ण सुगंधित मसाले का मसालों के घरेलू और निर्यात बाजार के अवसरों का लाभ उठाया सकेंगे।
– भागीरथ चौधरी, संस्थापक निदेशक, साउथ एशिया बायोटेक्नोलॉजी सेंटर संसद में बार-बार उठाया मुद्दा नागौर से पहली बार सांसद बनने से लेकर अब तक मैंने लोकसभा में कई बार नागौरी पान मैथी को मसाला बोर्ड की अनुसूची में शामिल करने व पान मैथी को जीआई टैग देने की मांग उठाई। जिसके बाद सरकार व स्थानीय प्रशासन ने इस दिशा में कार्य शुरू किया। अब भारत सरकार ने पान मैथी को भारतीय मसाला बोर्ड की अनुसूची में शामिल करने का गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इससे आने वाले वर्षों में मैथी उत्पादक किसानों का आर्थिक लाभ बढ़ेगा व अंतराष्ट्रीय मार्केट में नागौरी पान मैथी को प्राथमिकता मिल सकेगी। साथ ही नागौरी पान मैथी को जीआई टैग मिलने का मार्ग भी प्रशस्त होगा।
– हनुमान बेनीवाल, सांसद, नागौर
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