गौरतलब है कि नगर निकायों की हर साल केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय स्वच्छता रैंकिंग जारी करता है। इससे पहले स्वच्छता के मापदंड तय किए जाते हैं, जिन पर निकायों को सालभर कार्य करना होता है। अब पंचायतीराज विभाग राज्य की 11 हजार से अधिक ग्राम पंचायतों की स्वच्छता का मूल्यांकन करवाएगा। इससे पहले हर ग्राम पंचायत में नियमित सफाई और कचरा प्रबंधन की व्यवस्था की जाएगी। इसमें सबसे बड़ी चुनौती प्लास्टिक कचरे के निस्तारण की है। इसके लिए प्लास्टिक कचरा प्रबंधन इकाई की स्थापना की जाएगी। जहां कचरे में से प्लास्टिक अलग किया जाएगा। सभी जगह सफाई व्यवस्था शुरू होने के बदा इनका मूल्यांकन किया जाएगा।
किए जा रहे टेंडर स्वच्छता के लिए 11200 ग्राम पंचायतों में टेंडर किए जा रहे हैं। जिसमें से 3495 में कार्यादेश जारी कर दिए हैं। 10,689 में टेंडर प्रक्रिया चल रही है। जबकि 2046 ग्राम पंचायतों में कार्य शुरू हो गया है।
12 जिलों में जगह चिह्नित प्लास्टिक कचरा प्रबंधन इकाई के लिए बारां, बीकानेर, बूंदी, चित्तौडगढ़़, चूरू, धौलपुर, हनुमानगढ़, झालावाड़, झुंझुनूं, कोटा, पाली एवं राजसमंद जिलों में ब्लॉक स्तर पर स्थान चिह्नित किए गए हैं। जहां नहीं हुआ है, वहां 15 जनवरी तक स्थानों का चयन करके प्लास्टिक निस्तारण का कार्य शुरू किया जाएगा।
स्टील के बर्तन उपयोग को लेकर चलाएंगे अभियान ग्रामीणों को मेलों, पदयात्राओं, धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रमों में प्लास्टिक के उपयोग को कम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। खाने में स्टील के बर्तनों का उपयोग करने के लिए अभियान चलाया जाएगा। इसके लिए गांवों में बर्तन बैंक स्थापित किए जाएंगे। पायलट प्रोजेक्ट के रूप में कोटा की बोरबास ग्राम पंचायत में बर्तन बैंक बनाया जा रहा है। इसमें करीब 3 हजार बर्तन सेट होंगे।
प्लास्टिक कचरा प्रबंधन पर रहेगा विशेष जोर पंचायतीराज विभाग मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में सम्पूर्ण स्वच्छता के लिए प्लास्टिक कचरा प्रबंधन पर विशेष जोर दिया जाएगा। प्लास्टिक कचरे की मात्रा अधिक होने वाले स्थानों जैसे धार्मिक स्थल, पर्यटन स्थल, सार्वजनिक स्थल आदि को चिह्नित कर 15 जनवरी तक प्लास्टिक कचरा प्रबंधन इकाइयों की स्थापना की जाएगी। गांव-गांव में सामुदायिक बर्तन बैंक भी इसका उत्तम विकल्प हो सकता है।
टेंडर प्रक्रिया चल रही है ग्रामीण क्षेत्रों में सफाई करवाने व स्वच्छता मूल्यांकन कराने के लिए टेंडर प्रक्रिया अपनाई जा रही है। जिले की 70 प्रतिशत ग्राम पंचायतों के लिए टेंडर कर दिए हैं, जबकि शेष के जल्द किए जाएंगे।
– रविन्द्र कुमार, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद, नागौर