गौरतलब है कि ताऊसर निवासी हरीशचंद्र देवड़ा की ओर से न्यायालय सहायक कलक्टर मुख्यालय नागौर में एक राजस्व वाद मौजा ताऊसर की सरहद में स्थित विभिन्न खसरों की जमीन के संबंध में राजस्व रेकर्ड दुरुस्ती, घोषणा खातेदारी व स्थाई निषेधाज्ञा का पुराना कब्जा काश्त के आधार पर पेश किया। जिसे न्यायालय से स्वीकार कर लिया। न्यायालय सहायक कलक्टर के निर्णय व डिक्री से व्यथित होकर राज्य सरकार की ओर से जिला कलक्टर एवं नागौर तहसीलदार ने न्यायालय राजस्व अपील प्राधिकारी नागौर में अपील की।
कब्जे के आधार पर नहीं दे सकते प्रतिबंधित श्रेणी की जमीन आरएए ने अपील पर सुनवाई करने के बाद गत 16 मई को निर्णय देते हुए कहा कि समग्र विवेचन के अनुसार वादग्रस्त भूमि खसरा नम्बर 32 रकबा 15 बिस्वा गैर मुमकिन नाडी, खसरा नंबर 36 रकबा 6 बीघा 13 बिस्वा गैर मुमकिन मेला मैदान, खसरा नंबर 37 रकबा 1 बीघा 2 बिस्वा गैर मुमकिन रास्ता तथा खसरा नंबर 40 रकबा 3 बीघा 1 बिस्वा गैर मुमकिन मेला मैदान की खातेदारी में दर्ज रही है तथा उक्त राजकीय भूमि प्रतिबंधित भूमियों की श्रेणी में आती है, जिनकी खातेदारी किसी व्यक्ति को केवल मात्र कब्जे एवं अतिक्रमी होने के आधार पर नहीं दी जा सकती है। हरीशचंद्र (रेस्पोडेंटसं.1) ने उक्त वादग्रस्त भूमि पर केवल मात्र एक कब्जा होने के आधार पर अतिक्रमी की हैसियत से वाद पेश किया है, जिसको साबित करने के लिए उनकी ओर से कोई ऐसा दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया, जिससे यह साबित हो कि बंदोबस्त में सेटलमेंट अधिकारियों की गलती से साबिका खसरा नंबर 20 में से हरीशचंद्र की खातेदारी की भूमि के रकबे से रकबा कम किया गया हो। बंदोबस्त के समय सेटलमेंट अधिकारियों द्वारा कोई गलती नहीं की गई है। रेस्पोडेंटसं.1/ की ओर से पेश किए गए दस्तावेजी साक्ष्य से अपना वाद साबित करने में असफल रहे हैं। केवल मात्र रेस्पोडेंटसं.1 की ओर से प्रस्तुत कुछ मौखिक बयानों में रेस्पोडेंटसं.1 का कब्जा होने का उल्लेख किया है लेकिन मौखिक बयानों के आधार पर किसी को खातेदारी अधिकार नहीं दिए जा सकते। मौखिक साक्ष्य तभी मानी जा सकती है, जब वह राजस्व रेकर्ड दस्तावेजों साक्ष्य से समर्थित हो।
चार दीवारी का काम अधूरा गौरतलब है कि जिम्मेदारों की लापरवाही व अनदेखी के कारण मेला मैदान की जमीन पर जगह-जगह अतिक्रमण हो गए। कुछ लोगों ने मैदान की जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया। इसी प्रकार कुरजां होटल के सामने मेला मैदान की जमीन पर अवैध कब्जा कर बनाई गई होटल को डेढ़ वर्ष पूर्व पशु मेला लगने से पहले प्रशासन ने तोडकऱ अतिक्रमण मुक्त किया था। लेकिन अब भी जोधपुर-बीकानेर बायपास रोड के दोनों तरफ मेला मैदान की जमीन पर कुछ लोगों की नजरें हैं और राजस्व विभाग की ओर से सीमाज्ञान में हो रही देरी से उन्हें संरक्षण मिल रहा है। इसी के चलते मेला मैदान की चार दीवारी का काम भी अधूरा है।
पूर्व कलक्टर सोनी ने किए थे प्रयास गौरतलब है कि चार साल पहले मेले का उद्घाटन करने पहुंचे तत्कालीन कलक्टर डॉ. जितेन्द्र कुमसर सोनी को जब इस बात की जानकारी मिली कि चार दीवारी के अभाव में मेला मैदान पर अतिक्रमण हो रहे हैं, तो उन्होंने पशुपालन विभाग के अधिकारियों को तकमीना तैयार करवाने के लिए कहा। करीब छह महीने तक फॉलोअप करने के बाद तकमीना बन पाया, जिसे पशुपालन विभाग के मुख्यालय भेजा। जिसके बाद पशुपालन विभाग ने 18 अक्टूबर 2022 को 205 लाख रुपए की राशि स्वीकृत की थी। ।