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नागौर

पूरी रात जागकर नल में पानी की बूंद टपकने का इंतजार

खींवसर. नागौर जिले के करीब पच्चीस हजार की आबादी वाले खींवसर शहर में आधी रात को पीने के पानी के लिए महिलाओं की लाइन लगती है। यह स्थिति शासन, प्रशासन की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करती है। दैनिक जरुरत के पानी के लिए महिलाएं रतजगा करती हैं।

नागौरMay 31, 2025 / 01:30 pm

Ravindra Mishra

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खींवसर. शहर में आधी रात को पानी आने का इंतजार करती महिलाएं।

– 25 हजार की आबादी वाले खींवसर शहर में आधी रात को जलापूर्ति

– ग्राम पंचायत तक की नहीं हो रही सुनवाई

– पहले से आधा पानी वो मिल रहा रात को

– दिन में करते मजदूरी और रात को पानी के लिए मशक्कत
नागौर जिले के करीब पच्चीस हजार की आबादी वाले खींवसर शहर में आधी रात को पीने के पानी के लिए महिलाओं की लाइन लगती है। यह स्थिति शासन, प्रशासन की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करती है। दैनिक जरुरत के पानी के लिए महिलाएं रतजगा करती हैं। शहर के ये हालत है तो छोटे गांव जहां विभाग और जनप्रतिनिधि झांककर नहीं देखते वहां की क्या स्थिति होगी इसका अनुमान सहजता से लगाया जा सकता है।
खींवसर में काफी समय से रात को जलापूर्ति होती है। उसका भी कोई समय निर्धारित नहीं है। महिलाएं अपने दैनिक कामकाज के बाद सोती नहीं है, बल्कि पानी आने के इंतजार में जागती रहती है। इस समस्या को लेकर ग्राम पंचायत भी परेशान है, लेकिन उसकी कहीं सुनवाई नहीं हो रही। हालांकि पेयजल समस्या पूरे क्षेत्र में है। गांवों में तालाब तल दिखा चुके हैं, नहरी पानी की अपर्याप्त जलापूर्ति व बंद पड़े नलकूपों के कारण ग्रामीणों को हलक तर करने के लिए भटकना पड़ रहा है।
जनता जल योजना के नकारा पड़े नलकूपों एवं नाममात्र नहरी जलापूर्ति ने ग्रामीणों की दिनचर्या बदल दी है। भोर होते ही लोगों को पानी की तलाश में भटकना पड़ रहा है। नहरी पानी अपर्याप्त दिया जाता है, वहीं दूसरी ओर इन गांवों में बंद पड़े नलकूपों को नहरी पानी की सप्लाई होना बताकर दुरुस्त नहीं किया जा रहा। इससे ग्रामीणों के साथ पशुधन के हालात बिगड़ रहे हैं। नहरी विभाग की बिना प्रेशर अनियमित जलापूर्ति एवं जगह-जगह मुख्य लाइन से अवैध कनेक्शनों के कारण ग्रामीण हलक तर करने के लिए पड़ौसी गांवों के मोहताज हो गए हैं। कभी नहीं सूखने वाले तालाब इस बार मानसून से पूर्व तल दिखा चुके। रही सही कसर लिफ्ट केनाल परियोजना के अधिकारी पूरी कर रहे हैं। ऐसे में ग्रामीणों का विभाग के प्रति रोष बढ़ने लगा है।
सूखे पड़े नहरी प्वाइंट

कई गांवों के मोहल्लों में नहरी विभाग की ओर से लगाए प्वांइट अत्यधिक ऊंचाई पर होने से यहां पानी नहीं पहुंच पा रहा है। ग्रामीण विभाग के उच्च अधिकारियों से लेकर जिला प्रशासन तक शिकायतें कर चुके। जनसुनवाई में गुहार लगाते हैं, लेकिन समाधान करने वाला कोई नहीं। ग्राम बैराथलकलां, आकला, पांचलासिद्धा, पांचौड़ी, सहित कई गांवों में गंभीर पेयजल संकट है।
खारे नलकूप कर दिए बंद

गांवों में पहले खारे पानी की सप्लाई थी। विभाग ने नहरी पानी की सप्लाई शुरू करने के बाद अनेक नलकूपों को फेल बताकर बंद कर दिया। अब ग्रामीणों को समय पर न तो मीठा पानी मिल रहा और न ही खारा पानी नसीब हो रहा। अनुसूचित जाति के गांवों में तो हालात और खराब है। मजदूरीकर पेट पालने वाले परिवार दिन उगते ही पानी की तलाश में जुट जाते हैं।
प्रयास जारी है जल्द होगा सुधार

पहले नहरबंदी और बाद में नोखा दैया में बार- बार आ रहे व्यवधान के कारण समस्या थी अब प्रयास जारी है शीघ्र जलापूर्ति में सुधार होगा।

– सुनील गुजर, सहायक अभियंता, नहरी प्रोजेक्ट
करना पड़ रहा रतजगा

पानी की आपूर्ति का समय निर्धारित नहीं है कभी तो रात को एक- दो बजे दिया जाता था। अब थोड़ा सुधार हो रहा है, लेकिन अब भी रात को मिल रहा है। ऐसे में खासकर महिलाओं को रात में जागना पड़ता है।
– राजूदेवी देवड़ा, सरपंच, खींवसर

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