पीड़िता को अगवा किया गया, उसे बेहोशी का इंजेक्शन दिया गया और इसके बाद अपराधी ने उसके साथ बलात्कार किया।
इस मामले में स्वरूप नगर पुलिस स्टेशन में साल 2017 में एक एफआईआर दर्ज की गई थी। सजा सुनाते हुए रोहिणी कोर्ट के विशेष जज (पॉक्सो) ने कहा कि समाज में इस तरह की घटनाएं दिन-ब-दिन बढ़ रही हैं और समाज में इससे निपटने के लिए एक डर पैदा करना जरूरी है।
आरोपी को सुनाई ‘डबल’ उम्रकैद की सजा
विशेष जज अजय नागर ने 4 मार्च को पारित अपने आदेश में कहा, “समाज को एक सख्त संदेश देना जरूरी है कि बच्चों के खिलाफ इस तरह के अपराध किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे और ऐसे अपराधियों से कोर्ट सख्ती से निपटेगी।” कोर्ट ने अपराधी को नाबालिग के साथ बलात्कार के अपराध के लिए आईपीसी की धारा 376(2) के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई और हत्या की कोशिश के अपराध के लिए आईपीसी की धारा 307 के तहत दूसरी उम्रकैद की सजा दी। आरोपी नरमी का हकदार नहीं
इसके अलावा, अपराधी को आईपीसी की धारा 363, 366, 328 और 506 के तहत भी दोषी ठहराया गया, जिसके लिए उसे 5 से 7 साल तक की जेल की सजा दी गई। सभी सजाएं एक साथ चलेंगी। कोर्ट ने पीड़िता को पीड़ित मुआवजा योजना के तहत 10.5 लाख रुपये का मुआवजा भी प्रदान किया। पीड़िता के वकील ने अपराधी के लिए अधिकतम सजा की मांग करते हुए कहा कि अपराध की गंभीरता को देखते हुए अपराधी किसी भी तरह की नरमी का हकदार नहीं है।
पीड़िता अभी भी शारीरिक और मानसिक आघात से गुजर रही है; वह अपराधी के हमले और चोटों के कारण एक आंख से देखने में असमर्थ है। कोर्ट ने पीड़िता की बात भी सुनी, जिसने अपराधी के लिए फांसी या उम्रकैद की सजा की मांग की और कहा कि उसके खिलाफ कोई नरमी न बरती जाए। दूसरी ओर, आरोपी के वकील ने कोर्ट से सजा में नरमी बरतने की अपील की। उन्होंने कहा कि अपराधी ने पीड़िता या उसके परिवार को कोई धमकी नहीं दी थी। उन्होंने यह भी दावा किया कि पीड़िता के इलाज और एक आंख की रोशनी खोने के दावे को साबित करने के लिए कोई मेडिकल रिकॉर्ड पेश नहीं किया गया।