अभी निष्कर्ष पर न पहुंचें, अंतिम रिपोर्ट का इंतजार करें: नायडू
हालांकि रिपोर्ट में अभी स्पष्ट नहीं हुआ है कि हादसा किसी मानवीय गलती से हुआ या फिर किसी तकनीकी खामी की वजह से। अभी पूरी जांच रिपोर्ट आनी बाकी है। नागरिक उड्डयन मंत्री के. राममोहन नायडू ने कहा कि हम पायलटों के कल्याण और भलाई के लिए चिंतित हैं, इसलिए इस समय जल्दबाजी में किसी निष्कर्ष पर न पहुंचें और अंतिम रिपोर्ट का इंतजार करें।
प्लेन क्रैश जांच के तीन एंगल:
1 टेक्निकल ग्लिच –
पता किया जाएगा कि क्या तकनीकी खराबी से हादसा हुआ और इसमें बोइंग की जिम्मेदारी है या नहीं। जब तक क्लीन चिट नहीं मिलेगी, बोइंग जांच के दायरे में रहेगा। 2 पायलट का मैनुअल कटऑफ –
जांच होगी कि क्या पायलट ने जानबूझकर या गलती से इंजन कटऑफ किया। एक्सपर्ट्स का मानना है कि गलती से स्विच ‘RUN’ से ‘CUTOFF’ पर शिफ्ट होना संभव नहीं। ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स (OEMs) को बुलाकर उनसे जांच कराई जाएगी।
3 तीसरे इक्विपमेंट की खराबी –
किसी अन्य उपकरण में खराबी से हादसा होने की संभावना भी जांची जाएगी।
क्लाइव कुंदर उड़ा रहे थे विमान, सभरवाल कर रहे थे निगरानी
इस उड़ान में सह-पायलट क्लाइव कुंदर विमान उड़ा रहे थे, जबकि मुख्य पायलट सुमीत सभरवाल उड़ान की निगरानी कर रहे थे। उड़ान के अंतिम क्षणों में दोनों पायलटों के बीच बातचीत भी सामने आई है। कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर में दर्ज बातचीत का रिपोर्ट में जिक्र है। दोनों इंजन बंद हुए तब कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डर में एक पायलट को यह कहते सुना गया – तुमने स्विच क्यों बंद किया? जिस पर दूसरा पायलट जवाब देता है-मैंने नहीं किया। रिपोर्ट में साफ नहीं है कि इनमें कौन-सी आवाज कैप्टन सभरवाल की है और कौन सी कुंदर की। अब बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ है कि आखिर फ्यूल स्विच अपने आप रन से कटऑफ मोड में कैसे चला गया, जिससे इंजन को ईंधन मिलना बंद हो गया। सभरवाल के पास बोइंग 787 पर 8,600 घंटे और कुंदर के पास 1,100 घंटे से अधिक का अनुभव था। रिपोर्ट के अनुसार, दोनों पायलटों को उड़ान से पहले पर्याप्त आराम मिला था।
नहीं उड़ रहे थे पक्षी, एक्टिव था टर्बाइन
अहमदाबाद हवाई अड्डे के सीसीटीवी फुटेज में कहीं पक्षी उड़ने की गतिविधि नहीं दिखी। हादसे के बाद डीजीसीए ने शुरुआती बयान में पक्षियों के टकराने की आशंका जताई थी। वीडियो में यह भी दिखा कि टेकऑफ के तुरंत बाद विमान का रैम एयर टर्बाइन एक्टिव कर दिया गया था। यह आपात स्थिति में इंजन को पॉवर प्रदान करने के लिए एक्टिव किया जाता है। सीसीटीवी में दिख रहा है कि हवाई अड्डे के दायरे को पार करने से पहले ही विमान की ऊंचाई कम होने लगी।
2018 की सलाह पर एयर इंडिया ने नहीं दिया ध्यान
अमेरिकी फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन ने 2018 में ’ईंधन नियंत्रण स्विच की लॉकिंग सुविधा के अलग होने की संभावना’ के बारे में चेतावनी दी गई थी। हालांकि, एयर इंडिया ने इस पर ध्यान नहीं दिया। विमान व इंजनों पर जरूरी हवाई योग्यता निर्देश व अलर्ट सेवा बुलेटिन का पालन किया गया था। उड़ान के दौरान मौसम से संबंधित समस्या नहीं थी और विमान का टेक-ऑफ वजन निर्धारित सीमाओं के भीतर था।
एक्सपर्ट ओपिनियन
टेकऑफ के दौरान कोई भी पायलट नहीं करता स्विचों से छेड़छाड़
कोई भी पायलट इतना लापरवाह नहीं होता कि टेकऑफ व लैंडिंग के दौरान, जब पूरा ध्यान सामने लगे उपकरणों पर होता है, तब कॉकपिट के बीच वाले हिस्से में लगे स्विचों से छेड़छाड़ करे। पायलट के लिए टेकऑफ व लैंडिंग सबसे अहम समय होते हैं। टेकऑफ के दौरान पायलट का ध्यान फ्लाइट इंस्ट्रूमेंट्स व विमान को मैन्यूअली उड़ाने पर होता है। आम तौर पर दो हजार फीट की ऊंचाई तक पहुंचने के बाद ऑटोपायलट लगाया जाता है। इस दौरान पायलट का ध्यान सिर्फ फ्लाइट को कंट्रोल करने पर होता है। यह लगभग असंभव है कि कोई भी पायलट, खासकर टेकऑफ के दौरान, थ्रस्ट लेवल के पीछे लगे स्विचों से छेड़छाड़ करना चाहेगा। ज्यादा से ज्यादा, आप कॉकपिट के आगे वाले पैनल में लगे लैंडिंग गियर को ऊपर उठाने पर ध्यान केंद्रित करेंगे या फ्लैप्स को ऊपर उठाएंगे। व्यापक जांच रिपोर्ट आने का इंतजार करना जरूरी है।
पायलट ने किया संभालने का प्रयास
विमान पूरी ताकत से उड़ा है। उड़ने के लिए एक प्रारंभिक स्पीड होती है। विमान 180 नॉट पर चला गया था। इससे स्पष्ट है कि वो उड़ान के लिए सक्षम था। लेकिन उड़ान के कुछ ही सेकंड में दोनों इंजन बंद हुए हैं। कैप्टन ने फिर से उन्हें चालू करने का प्रयास किया। यही वजह रही कि विमान क्रैश के समय दोनों स्विच ऑन थे। ये विमान के साथ क्या हुआ है, कैसे हुआ है, क्यों हुआ है, इसका उत्तर आगे पता चलेगा।