न्याय का फैसला
यह ऐतिहासिक फैसला विशेष महिला न्यायाधीश एम. राजलक्ष्मी ने सुनाया। चार दिन पहले ही आरोपी को बलात्कार, अपहरण और आपराधिक धमकी सहित भारतीय न्याय संहिता (BNS), IT एक्ट और तमिलनाडु महिला उत्पीड़न निषेध अधिनियम की 11 धाराओं में दोषी ठहराया गया था।
क्या था पूरा मामला?
यह मामला 23 दिसंबर 2024 की रात का है। छात्रा और उसका एक दोस्त विश्वविद्यालय परिसर में बैठे थे तभी सड़क किनारे बिरयानी बेचने वाले ज्ञानशेखरन उनके सामने आया। उसने उन दोनों का वीडियो रिकॉर्ड करने का नाटक किया और फुटेज को सार्वजनिक करने की धमकी देकर उन्हें अलग कर दिया। इसके बाद वह महिला को एक सुनसान जगह परले गया और उसका यौन उत्पीड़न किया। ज्ञानशेखरन यहीं नहीं रुका उसने अपने मोबाइल फोन पर इस कृत्य को रिकॉर्ड किया, ताकि बाद में वह पीड़िता को ब्लैकमेल कर सके।
ऐसे हुई ज्ञानशेखरन की गिरफ्तारी
ज्ञानशेखरन ने पीड़िता को धमकी दी कि अगर उसने उसकी मांगें पूरी नहीं कीं तो वह वीडियो उसके पिता और कॉलेज के अधिकारियों को भेज देगा। हालांकि, छात्रा चुप नहीं रही। उसने हिम्मत दिखाई और अपने परिवार व कॉलेज के सहयोग से 25 दिसंबर को कोट्टूरपुरम ऑल वुमन पुलिस स्टेशन पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई। जिसके बाद पुलिस ने यूनिवर्सिटी कैंपस में लगे CCTV फुटेज की जांच के बाद ज्ञानशेकरन को अगले दिन गिरफ्तार किया था। वह यूनिवर्सिटी के पास ही बिरयानी की दुकान लगाता था।
पुलिस जांच और चार्जशीट
मामले में कम से कम 29 गवाहों ने गवाही दी और पुलिस ने 100 पन्नों का चार्जशीट दाखिल किया था। यह फैसला उस 19 वर्षीय छात्रा की शिकायत के लगभग 6 महीने बाद आया, जिसने 24 दिसंबर 2024 को थाने में मामला दर्ज कराया था।
FIR लीक पर विवाद
यह मामला तब और चर्चा में आ गया जब पीड़िता की पहचान वाली FIR को गलती से तमिलनाडु पुलिस की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया। मद्रास हाईकोर्ट ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया और तमिलनाडु पुलिस को एफ़आईआर की भाषा को लेकर और कैंपस में सुरक्षा में चूक को लेकर फटकार लगाई। एफ़आईआर में पुलिस ने पीड़िता महिला को ही दोषी ठहराया था। सजा के दौरान कोर्ट की टिप्पणी
बचाव पक्ष ने ज्ञानशेखरन की वृद्ध मां और बेटी की दुहाई देते हुए सजा में नरमी की मांग की, लेकिन अभियोजन पक्ष ने कड़ा विरोध करते हुए अधिकतम सजा की मांग की। जज राजलक्ष्मी ने कहा, “यह हमला महज एक अपराध नहीं, बल्कि संस्थागत सुरक्षा की कमजोरी का सुनियोजित फायदा उठाने वाला कृत्य था। ऐसी घटनाएं हमारे शैक्षणिक परिसरों को असुरक्षित बना देती हैं।”