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ISRO का एक और कमाल: अब अंतरिक्ष मलबा पकड़ने और उपग्रहों में ईंधन भरने में सक्षम बनेगा भारत

ISRO: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अंतरिक्ष में तैरते मलबों को कैप्चर करने की दिशा में अहम प्रयोग किया है।

नई दिल्लीJan 08, 2025 / 08:33 am

Shaitan Prajapat

ISRO: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अंतरिक्ष में तैरते मलबों को कैप्चर करने की दिशा में अहम प्रयोग किया है। प्रयोग पीएसएलवी सी-60 के चौथे चरण पीओईएम-4 के साथ भेजे गए पे-लोड डेबरिस कैप्चर रोबोटिक मैनिप्युलेटर (डीसी-आरएम) के जरिए किया गया। विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) में विकसित यह उपकरण रोबोटिक आर्म की तरह है। यह अंतरिक्ष में तैरते मलबों को उसकी गति का अनुमान लगाकर पकड़ सकता है। इसरो ने कहा कि उपकरण अंतरिक्ष में ऑपरेशनल उपग्रहों का जीवनकाल बढ़ाने के लिए उनमें ईंधन की आपूर्ति कर सकता है। यह हवा में उड़ान भरते युद्धक विमानों में ईंधन की आपूर्ति करने जैसा होगा।

यों खत्म होते हैं उपग्रह

उपग्रहों का जीवनकाल ईंधन पर निर्भर होता है। ईंधन खत्म होने पर उपग्रह अंतरिक्ष कचरा बन जाते हैं। ये कक्षा में धीरे-धीरे नीचे सरकने लगते हैं और अंतत: पृथ्वी के वातावरण में समाकर भस्म हो जाते हैं।
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अंतरिक्ष स्टेशन के लिए महत्त्वपूर्ण

इसरो के मुताबिक रोबोटिक आर्म प्रस्तावित भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए भी महत्त्वपूर्ण होगी। आर्म में 7 जोड़ और एक इंचवर्म जैसा तंत्र है। यह आसानी से मुड़ सकती है। इसमें कैमरे, बाधा-निवारण सॉफ्टवेयर और उच्च प्रदर्शन प्रोसेसर लगे हैं।

वी नारायणन होंगे ISRO के नए चीफ

केंद्र सरकार ने वरिष्ठ अंतरिक्ष वैज्ञानिक वी नारायणन को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का नया चेयरमैन और अंतरिक्ष विभाग का सचिव नियुक्त किया है। वह 14 जनवरी को एस सोमनाथ का स्थान लेंगे। उनका कार्यकाल दो साल का होगा। वी नारायणन वर्तमान में लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर (LPSC), वलियमला के निदेशक के रूप में कार्यरत हैं। वह रॉकेट और स्पेसक्राफ्ट तकनीक में विशेषज्ञ माने जाते हैं। उनकी नियुक्ति से इसरो को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की उम्मीद है।

एस सोमनाथ तीन साल रहे ISRO चीफ

एस सोमनाथ तीन साल तक भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के चेयरमैन रहे। वह 14 जनवरी 2022 को इस पद पर नियुक्त हुए थे। अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने ISRO को कई ऐतिहासिक उपलब्धियां दिलाईं। उनकी सबसे बड़ी सफलता चंद्रयान-3 मिशन रही, जिसने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिंग कर अंतरिक्ष इतिहास में भारत का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा। इसके अलावा, उन्होंने आदित्य-L1 मिशन को लॉन्च किया, जो सूर्य का अध्ययन करने वाला भारत का पहला मिशन है। एस सोमनाथ का कार्यकाल इसरो के लिए नई ऊंचाइयों का प्रतीक रहा, और उनके नेतृत्व में भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम ने वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान और मजबूत की।

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