कैसे हुई ठगी?
जनवरी की शुरुआत में पीड़ित अधिकारी को फेसबुक पर एक महिला की फ्रेंड रिक्वेस्ट आई। महिला ने खुद को पटना की मेडिकल स्टूडेंट बताया और कहा कि वह भी पुणे से जुड़ी है। दोनों के बीच बातचीत शुरू हुई, और महिला ने धीरे-धीरे उनका भरोसा जीत लिया। फिर महिला ने एक ‘अच्छे निवेश के मौके’ की बात कही और पीड़ित से उसका फोन नंबर और अन्य निजी जानकारी ले ली। उसने कहा कि वह उनके नाम से एक खाता खोल रही है और उन्हें ऑनलाइन कुछ ‘टास्क’ पूरे करने होंगे जैसे पोस्ट लाइक करना और शेयर करना। इन टास्क के बदले ज्यादा कमाई का वादा किया गया और अलग-अलग बैंक खातों में पैसे भेजने को कहा गया।
फर्जी मुनाफे के झांसे में आए अधिकारी
पहले टास्क के बाद जब अधिकारी ने 5,695 रुपये भेजे, तो महिला ने एक स्क्रीनशॉट भेजा जिसमें 23,216 रुपये के मुनाफे का दावा किया गया। इसके बाद रकम धीरे-धीरे बढ़ती गई और महिला ने बार-बार बड़े मुनाफे के वादे किए। पीड़ित ने झांसे में आकार 18 ट्रांजैक्शन किए और कुल 61.33 लाख अलग-अलग राज्यों केरल, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के खातों में भेज दिए।
महिला हुई गायब, तब खुली आंखें
मार्च के अंत में जब अधिकारी ने कहा कि अब वह अपने मुनाफे को निकालना चाहते हैं, तो महिला ने उनसे संपर्क तोड़ दिया और गायब हो गई। इसके बाद पीड़ित को समझ आया कि वे ठगी का शिकार हो चुके हैं और उन्होंने तुरंत साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन, पुणे में शिकायत दर्ज कराई।
क्या होता है ‘टास्क फ्रॉड’?
टास्क फ्रॉड में शुरुआत में लोगों को वीडियो लाइक करने या रिव्यू देने जैसे छोटे टास्क दिए जाते हैं और बदले में कुछ पैसे मिलते हैं। इसके बाद विश्वास बना लिया जाता है और फिर बड़े टास्क के नाम पर ‘प्रीपेड’ टास्क करवाए जाते हैं, जिसमें पहले पैसे देने होते हैं। रिटर्न के नाम पर फर्जी स्क्रीनशॉट और मुनाफे का लालच दिया जाता है, और जैसे ही बड़ी रकम मिल जाती है, ठग गायब हो जाते हैं।