पहला दिन: स्टेशन से जुड़ने से पहले ही किया प्रयोग
एक्सिओम-4 मिशन पिछले 25 जून को लाॅन्च किया गया और चालक दल के सदस्य 26 जून को अंतरराष्ट्रीय स्टेशन पर पहुंचे। स्टेशन से जुडऩे से कुछ घंटे पहले दल ने अंतरिक्षयान ड्रैगन (ग्रेस) में भी एक खिलौने जॉय के साथ सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में पहुंचने के संकेतक के रूप में प्रयोग किया था।
दूसरा दिन: स्थापित किया अपना क्वार्टर
अंतरिक्ष स्टेशन में प्रवेश पर नासा एक्सपीडिशन 73 के चालक दल के सदस्यों ने गर्मजोशी से स्वागत किया और जश्न मनाया गया। पैगी ने सदस्यों को एस्ट्रोनॉट पिन और आर्बिटल उड़ान संख्या भेंट की। शुभांशु शुक्ला पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले 634वें यात्री बने। पैगी एयरलॉक, शुभांशु शुक्ला ड्रैगन, स्लावोश सुवे कोलंबस में और टिबोर कपु ने जापानी एक्पेरिमेंटल मॉड्यूल में सोने की व्यवस्था की। हैंडओवर प्रक्रियाएं पूरी, सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में खुद को ढालने का काम शुरू।
तीसरा दिन: प्रयोगों का सैटअप तैयार
हालात के अनुकूल ढलने के लिए अन्य सदस्यों के साथ मेलजोल बढ़ाया और विभिन्न प्रोटोकॉल, प्रशिक्षण पूरे। अंतरिक्षयान ड्रैगन से कार्गो, उपकरण, अंतरिक्ष स्टेशन में स्थानांतरित किए। प्रयोगों के लिए सेटअप तैयार किया। चौथा दिन : शुक्ला ने शुरू किए मांसपेशियों के कमजोर होने पर प्रयोग
कमांडर पैगी व्हिस्टन ने कैंसर पर शोध आरंभ किया। यह अध्ययन इस बात पर केंद्रित है कि सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में कैंसर कोशिकाएं कैसे व्यवहार करती हैं। प्रयोग की सफलता पृथ्वी पर रोगियों और लंबी अवधि के मिशनों पर अंतरिक्ष यात्रियों को लाभान्वित कर सकती हैं। शुभांशु शुक्ला ने मायोजेनेसिस प्रयोग शुरू किया। यह अंतरिक्ष में कंकाल की मांसपेशियों के क्षरण के जैविक कारकों को उजागर करने के लिए है। मांसपेशियों के क्षरण को रोकने के लिए किए जाने वाले उपाय पृथ्वी पर किसी बीमारी अथवा बुढ़ापे के दौरान मांसपेशियों के कमजोर होने पर काम आ सकती है। शुभांशु शुक्ला ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बात कर ऐतिहासिक आउटरीच कार्यक्रम में भी भाग लिया।
पांचवां दिन: शुल्का का सूक्ष्म शैवालों पर प्रयोग शुरू
पैगी का कैंसर पर शोध जारी है। सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में कैंसर के व्यवहार के बारे में नई जानकारी मिलने की उम्मीद है। यह शोध पृथ्वी पर कैंसर के उपचार, विशेष रूप से बेहद आक्रामक समझे जाने वाले मेटास्टेटिक कैंसर के लिए उपयोगी साबित हो सकता है। शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष में सूक्ष्म शैवालों पर प्रयोग शुरू किया। सूक्ष्म शैवाल अंतरिक्ष अन्वेषण के भविष्य में एक बड़ी भूमिका निभा सकते हैं, ये लंबी अवधि के मिशनों के लिए एक टिकाऊ, पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य स्रोत प्रदान करते हैं। उन्होंने शैवालों की तस्वीरें उतारीं।