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PM-JAY Scheme: पीएम मोदी ने जिस झारखंड से शुरू की थी, वहीं बंद हुई योजना; जानिए क्यों आयुष्मान योजना का हुआ बुरा हाल

Ayushman Bharat Yojana : राज्य के स्वास्थ्य मंत्री इफरान अंसारी ने कहा कि आयुष्मान योजना में धांधली को लेकर जांच बिठाई गई है। जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती…

रांचीJun 06, 2025 / 12:57 pm

Ashib Khan

आयुष्मान योजना का हुआ बुरा हाल (Photo-Patrika)

PM-JAY Scheme: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2018 में झारखंड (Jharkhand) के रांची (Ranchi) में प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना की शुरुआत की थी, लेकिन अब योजना राज्य में बंद हो गई है। हज़ारीबाग, कोडरमा, पलामू और देवघर जिलों के अस्पताल पहले ही भुगतान में देरी का हवाला देकर इस योजना से बाहर निकल चुके हैं। अब योजना को लेकर बीजेपी (BJP) और झामुमो (JMM) के नेताओं के बीच जुबानी जंग भी तेज हो गई है। 

मरीजों को बीच मझधार में छोड़ा जा रहा है: मरांडी 

झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष व बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि पीएम मोदी द्वारा झारखंड से शुरू की गई आयुष्मान भारत योजना अब यहां मुश्किल से ही चल रही है। उन्होंने इस योजना के फेल होने का दोष राज्य की झामुमो-कांग्रेस सरकार पर मढ़ा है। मरांडी ने कहा कि 25 फरवरी से 500 से ज्यादा अस्पतालों को भुगतान नहीं किया गया है। राज्य के 200 अस्पतालों को बीते 10 महीनों से बकाया भुगतान नहीं किया गया है। अस्पताल आयुष्मान सेवाएं बंद कर रहे हैं। मरीजों को बीच मझधार में छोड़ा जा रहा है। 

जांच पूरी होने तक नहीं होगी पेमेंट: अंसारी 

मरांडी के आरोप पर पलटवार करते हुए राज्य के स्वास्थ्य मंत्री इफरान अंसारी ने कहा कि आयुष्मान योजना में धांधली को लेकर जांच बिठाई गई है। जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक किसी भी अस्पताल को भुगतान नहीं किया जाएगा। अंसारी ने कहा कि भाजपा नेताओं से जुड़े कई अस्पताल भी जांच के दायरे में हैं। आयुष्मान योजना का दुरुपयोग व भ्रष्टाचार करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। 

60:40 के अनुपात में साझा की जाती है लागत 

आयुष्मान भारत योजना की लागत केंद्र और राज्य सरकार मिल कर व्यय करती है। केंद्र और राज्य सरकारों के बीच योजना के क्रियान्वयन की लागत 60:40 के अनुपात में साझा करती है। जानकारी के अनुसार, झारखंड में 28 लाख परिवार (लगभग 1.5 करोड़ लोग) नामांकित हैं, जबकि अन्य 38 लाख परिवार राज्य सरकार द्वारा संचालित मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ ले रहे हैं। दोनों योजनाओं के तहत लाभार्थियों को बीमा कार्ड जारी किया जाता है। जिसका वह सरकार द्वारा सूचीबद्ध अस्पताल में स्वास्थ्य लाभ उठा सकते हैं। फिर इन अस्पतालों को सरकार द्वारा भुगतान किया जाता है।

कहा गया था, मार्च तक हो जाएगा भुगतान: डॉ सिन्हा

एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स ऑफ इंडिया (AHPI) और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने बताया कि राज्य में करीब 750 अस्पताल आयुष्मान योजना के तहत पंजीकृत हैं। IMA  सें संबंधित अस्पताल बोर्ड के झारखंड चैप्टर के अध्यक्ष व सीनियर सर्जन डॉ. अनंत सिन्हा ने कहा कि साल 2025 के शुरुआत में हमें बताया गया कि नए वेब पोर्टल के कारण भुगतान में रुकावट हो रही है। कहा गया कि मार्च महीने तक सभी चीजें सुव्यवस्थित हो जाएंगी। हम अब तक इंतजार कर रहे हैं। 
डॉ. सिन्हा ने नए पोर्टल को लेकर कहा कि HEM 2.0 आयुष्मान भारत जैसी स्वास्थ्य योजनाओं के तहत लाभार्थियों की पहचान, सत्यापन और प्रबंधन के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है। उन्होंने कहा कि भुगतान कई चरणों में रूके हुए हैं। भुगतान रुकने का बड़ा कारण HEM 2.0 और फरवरी में बढ़ी हुई बीमा सीमा है।  

HEM 2.0 से बैकलॉग डेटा गायब 

HEM 2.0 को लेकर कहा जा रहा है कि इसमें आवश्यक फिल्टर की कमी है। इस कारण बैकलॉग डेटा गायब हो गया है। अधिकारियों ने कहा कि HEM 2.0 में एक और समस्या पहले आओ, पहले पाओ मोड से जुड़ा है। जहां बिलों को उसी क्रम में मंजूरी दी जाती है। जिस क्रम में उसे स्वीकृत किया गया था, न कि जिस क्रम में उन्हें दाखिल किया गया था। जिससे भुगतान की प्रक्रिया धीमी होती चली गई। 

‘असली नुकसान सरकार और जनता का ही है’

डॉ. सिन्हा ने कहा कि सरकार द्वारा आयुष्मान भारत योजना के बकाया भुगतान नहीं करने से निजी अस्पताल के कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं दिया जा रहा है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो निजी अस्पताल आयुष्मान भारत कार्डधाकरों को मरीज के तौर पर भर्ती लेना बंद कर देंगे। उन्होंने कहा कि इससे असली नुकसान सरकार और जनता का ही है। AHPI और IMA ने दावा किया है कि NAFU के 212 में से 60 अस्पताल वित्तीय दबाव में बंद हो गए हैं। अगर स्थिति जल्द ही नहीं सुलझी तो और भी अस्पताल बंद हो सकते हैं।

नहीं है फंड की कमी: अधिकारी 

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कहा कि फंड की कोई कमी नहीं है। बीते 7 सालों में अस्पतालों को 2,284 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। समस्या यह है कि पिछले साल से अस्पतालों को इन फंडों का वितरण रुका हुआ है। जिसके पीछे कि दो मुख्य वजहें ईडी की जांच और अनियमितता हैं।

अनियमितता बरतने पर 212 अस्पतालों को किया चिन्हित 

नेशनल एंटी फ्रॉड यूनिट (NAFU) ने आर्टिफिशिलय इंटेलिजेंस की मदद से आयुष्मान योजना से जुड़े 212 अस्पतालों (180 निजी और 32 सरकारी) को अनियमितता बरतने को लेकर चिन्हित किया था। इन अस्पतालों को बाद में होल्ड पर रखा गया। ईडी की जांच पूरी होने तक उक्त अस्पतालों के भुगतान पर रोक लगा दी गई। 

ED ने 21 जगहों पर मारे छापे

ईडी ने अप्रैल महीने में झारखंड भर में 21 स्थानों पर छापे मारे। रांची के प्रमुख अस्पतालों पर भी ईडी के छापे पड़े। ये छापे CAG ऑडिट से जुड़े थे। जिसमें कथित धोखाधड़ी को चिह्नित किया गया था। फर्जी नाम व पता से योजना के पैसे लूटे गए। फिलहाल, ईडी की जांच जारी है। इस दौरान राज्य के 538 अस्पतालों को भुगतान करना बंद कर दिया गया। जिस पर AHPI, झारखंड के अध्यक्ष डॉ सईद अहमद अंसारी ने कहा कि ईडी राज्य के 212 अस्पतालों की जांच कर रहा है, तब तक बाकी अस्पतालों को भी नुकसान उठाना पड़ेगा। जिन अस्पतालों को NAFU द्वारा चिन्हित नहीं किया गया है, उनका भुगतान क्यों रोका गया है। 

अस्पताल के प्रतिनिधियों से मिले स्वास्थ्य मंत्री अंसारी

झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने भुगतान में देरी होने के कारण राज्य के 200 अस्पतालों के प्रतिनिधियों और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक बैठक की। बैठक के बाद उन्होंने घोषणा की कि ईडी की जांच के दायरे में नहीं आने वाले अस्पतालों को जल्द से जल्द फंड जारी करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
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50 करोड़ लोगों को मिल रहा है आयुष्मान भारत योजना 

आयुष्मान भारत योजना का लाभ देश के 10.74 गरीब और कमजोर परिवारों (50 करोड़) लोगों मिल रहा है। यह योजना प्रति परिवार प्रति वर्ष 5 लाख रुपए का स्वास्थ्य कवर प्रदान करता है। शामिल किए गए परिवार क्रमशः ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लिए सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना 2011 के अभाव और व्यावसायिक मानदंडों पर आधारित हैं। 

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