शाहाबाद रीजन में सबसे अधिक गोली खरदीते हैं लोग
बिहार पुलिस मुख्यालय भवन में ADG कुंदन कृष्णन ने कहा कि बिहार के कुछ इलाके खासकर मध्य बिहार और शाहाबाद में लाइसेंसी हथियार रखने वाले लोग सालाना 200 गोली खरीदते हैं, लेकिन उसका इस्तेमाल कहां करते हैं। इसका व्यापक ब्यौरा नहीं है। उन्होंने कहा कि एक गोली एक हजार रुपए की होगी तो हर्ष फायरिंग जैसे मामलों में कमी भी आएगी। सीनियर IPS ने कहा कि हर्ष फायरिंग के लिए हथियार का लाइसेंस नहीं दिया जाता है। लाइसेंसी हथियार आत्मरक्षा के लिए प्रदान किया जाता है। पाकिस्तान का साथ देने वाले तुर्किये को लगेगी मिर्ची, साइप्रस जा रहे हैं पीएम मोदी, हो सकती है बड़ी डील! एक बार में सिर्फ 25 गोलियां ही मिलेंगी
उन्होंने कहा कि लाइसेंसी हथियार के लिए बिहार में अब 85 गोली ही खरीदी जा सकेगी। एक बार में सिर्फ 25 गोलियां ही दी जाएंगी। कुंदन ने कहा कि 25 गोलियों का खोखा सौंपने के बाद फिर 25 गोलियां दी जाएंगी। कई बुजुर्ग लोगों के पास हथियार का लाइसेंस है। ऐसे बुजुर्ग जो हथियार नहीं उठा सकते हैं। उन्हें लाइसेंस की क्या जरूरत है। ऐसे लाइसेंस को निरस्त किया जाएगा।
क्रिमिनल की सप्लाई लाइन को तोड़ने के लिए उठाया कदम
IPS कुंदन कृष्णन ने कहा कि बिहार पुलिस ने क्राइम ग्राफ को लेकर स्टडी की। उन्होंने कहा कि वर्तमान में 315 बोर की एक गोली लाइसेंसी तौर पर 175 से 200 रुपए के बीच में मिलती है। ब्लैक मार्केट में इसकी कीमत 400 रुपए है। उन्होंने कहा कि इस सप्लाई लाइन को तोड़ने के लिए कारतूस का दाम बढ़ाने और प्रत्येक लाइसेंसकर्ताओं के कारतूस रखने की क्षमता को कम किया है। ताकि गोलियों की कालाबाजारी न हो। दुनिया सोती रही, ईरान ने कर दिया परमाणु परीक्षण, बिगड़ सकता है वैश्विक माहौल 85 हजार लाइसेंसी हथियार हैं बिहार में
सीनियर पुलिस अधिकारी ने कहा कि बिहार में करीब 85 हजार लाइसेंसी हथियार है। इलेक्शन के पूर्व सभी लाइसेंस की फिटनेस देखी जाएगी। कई लाइसेंस को सस्पेंड भी किया जाएगा। कई हथियार दुकान के लाइसेंस भी सस्पेंड होंगे। उन्होंने कहा कि बिहार STF ने पाया है कि कई बंदूक की दुकान महीनों से बंद पड़े रहते हैं। उन दुकानों के भी लाइसेंस रद्द करने का काम किया जाएगा।
बिहार में क्राइम का ग्राफ
बिहार पुलिस के मुताबिक इस साल 1 जनवरी से 7 अप्रैल तक पुलिस पर हमले के मामलों में 947 दोषियों की गिरफ्तारी की गई है। लूट के मामलों में 697 और डकैती के मामलों में 281 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। NCRB के अनुसार, अपराध दर के आधार पर प्रति लाख जनसंख्या के आधार पर राष्ट्रीय स्तर पर बिहार का देशभर में हत्या के मामलों में 14वें स्थान है। 2019 में अपराध दर 2.6, 2020 में 2.6 और 2021 में 2.3 दर्ज की गई है। 2022 में भी हत्या के मामलों में अपराध की दर 2.3 ही है।