scriptरेत-शराब माफिया से मिलीभगत, बिहार में पिछले तीन साल में 50 थानेदारों पर हुई कार्रवाई, कई सस्पेंड कुछ हुए लाइन हाजिर | Collusion with sand-liquor mafia, action taken against 50 police station incharges in Bihar in last three years, many suspended, some suspended | Patrika News
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रेत-शराब माफिया से मिलीभगत, बिहार में पिछले तीन साल में 50 थानेदारों पर हुई कार्रवाई, कई सस्पेंड कुछ हुए लाइन हाजिर

प्राइवेट ड्राइवरों के साथ मिलकर शराब और बालू माफिया से रिश्वत वसूली के आरोप में पिछले तीन साल में 50 थानेदारों पर कार्यवाही की गई है। ड्राइवरों की कमी के चलते पुलिस को प्राइवेट गाड़ियां और चालकों की मदद लेनी पड़ रही है, जिससे भ्रष्टाचार की नई कड़ियां जुड़ती जा रही हैं।

भारतMay 25, 2025 / 12:49 pm

Siddharth Rai

शराब और बालू माफिया से रिश्वत वसूली के आरोप में पिछले तीन साल में 50 थानेदारों पर कार्यवाही की गई है। (photo – ANI)

बिहार में पुलिस महकमे की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है। बीते तीन सालों में करीब 50 थानेदारों को या तो सस्पेंड किया गया या लाइन हाजिर कर दिया गया है। इन सभी पर प्राइवेट ड्राइवरों के साथ मिलकर शराब और बालू माफिया से रिश्वत वसूली के आरोप हैं। दरअसल, बिहार पुलिस के पास ड्राइवरों की भारी कमी है, जिसके चलते उन्हें प्राइवेट गाड़ियां और ड्राइवर हायर करने पड़ते हैं। द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस व्यवस्था ने पुलिसकर्मियों और प्राइवेट ड्राइवरों की मिलीभगत के नए रास्ते खोल दिए हैं।

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RTI से खुलासा: गाड़ियां तो हैं, ड्राइवर नहीं

RTI एक्टिविस्ट शिव प्रकाश राय की मांग पर मिली जानकारी में पता चला कि बिहार पुलिस में 10,390 स्वीकृत ड्राइवर पदों में से सिर्फ 3,488 पद भरे गए हैं, जबकि पुलिस के पास कुल 9,465 गाड़ियां हैं। मतलब गाड़ियां हैं लेकिन उन्हें चलाने वाले ड्राइवर कम हैं।

वायरल वीडियो ने खोली पोल

दिसंबर 2023 में बक्सर के टाउन थाना इंचार्ज संजय कुमार सिन्हा को एक वायरल वीडियो के बाद पुलिस लाइन भेज दिया गया। वीडियो में वे एक प्राइवेट गाड़ी में ट्रक मालिकों से वसूली करते दिखे। आरोप है कि उन्होंने और ड्राइवर ने मिलकर यह काम किया।

मुज़फ्फरपुर में 7 पुलिसकर्मी सस्पेंड

अप्रैल 2024 में मुज़फ्फरपुर पुलिस ने 7 कर्मियों को सस्पेंड किया, जिन पर शराब और बालू माफिया से सांठगांठ के आरोप हैं। इस मामले में भी प्राइवेट ड्राइवरों की भूमिका जांच के दायरे में है। बिहार में थानों में निजी वाहनों का उपयोग बढ़ता जा रहा है। भागलपुर के 27 थानाध्यक्षों ने ड्राइवर सहित निजी वाहन लगाए हैं। इसके बाद वैशाली में 24, बक्सर में 19 और मुंगेर में 10 थानेदारों ने प्राइवेट गाड़ियां और ड्राइवर हायर किए हैं।

बात सिर्फ थानों तक ही सीमित नहीं है

पूर्वी चंपारण (मोतिहारी) में दो डीएसपी और दरभंगा में एक डीएसपी भी प्राइवेट गाड़ियों और ड्राइवरों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
इसके अलावा, लखीसराय में चार सर्कल इंस्पेक्टर, बगहा और भागलपुर में एक-एक सर्कल इंस्पेक्टर भी सरकारी काम के लिए प्राइवेट ड्राइवरों पर निर्भर हैं।

पटना की हालत भी खराब

राजधानी पटना में कांस्टेबल ड्राइवरों के 704 स्वीकृत पदों में से केवल 252 तैनात हैं, वहीं हेड कांस्टेबल ड्राइवरों के 166 पदों में से केवल 109 ही भरे गए हैं। कुछ ज़िलों में तो हालात और भी चिंताजनक हैं। अररिया में 166 स्वीकृत पदों के मुकाबले केवल 56 ड्राइवर हैं, सीतामढ़ी में 203 में से सिर्फ 57 पदों पर नियुक्ति हैं। बक्सर में 138 में से सिर्फ 40 ड्राइवर हैं, मुंगेर में 122 स्वीकृत पद, लेकिन केवल 59 ही तैनात हैं।

130 प्राइवेट गाड़ियाँ हायर, पर ड्राइवर की जांच नहीं!

इस समय बिहार पुलिस ने कुल 130 प्राइवेट गाड़ियां हायर की हैं, लेकिन अधिकतर ड्राइवरों का पुलिस वेरिफिकेशन तक नहीं किया गया। सीनियर अधिकारियों का कहना है कि ड्राइवर की बहाली कभी प्राथमिकता में रही ही नहीं।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “जिला पुलिस को मजबूरी में प्राइवेट गाड़ियाँ लेनी पड़ती हैं। इन ड्राइवरों की पृष्ठभूमि की जांच नहीं होती, यही वो जगह है जहां पुलिसकर्मियों और इन प्राइवेट ड्राइवरों की मिलीभगत की गुंजाइश बनती है। कई बार यही ड्राइवर वसूली एजेंट की तरह काम करने लगते हैं।”
एक और अधिकारी ने कहा, “2016 में शराबबंदी के बाद से थानों पर लगातार नजर रखी जा रही है। ऐसे में प्राइवेट ड्राइवर भ्रष्टाचार में आसानी से फंस जाते हैं।”

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