कैसे हुआ फर्जीवाड़ा?
जीएसटी प्रणाली में कंपनियां कच्चे माल की खरीद पर चुकाए गए टैक्स को ITC के रूप में क्लेम कर सकती हैं। फर्जी कंपनियों ने इस प्रावधान का दुरुपयोग करते हुए बिना वास्तविक लेन-देन के फर्जी बिल बनाए और ITC के जरिए हजारों करोड़ रुपये का रिफंड हासिल किया। अधिकारियों के अनुसार, यह घोटाला पिछले साल की तुलना में 29% अधिक है, जब पहली तिमाही में 3,840 कंपनियों ने 12,304 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा किया था।
क्या कार्रवाई हुई?
जीएसटी अधिकारियों ने इस मामले में अब तक 53 लोगों को गिरफ्तार किया है और 659 करोड़ रुपये की वसूली की गई है। हालांकि, यह राशि कुल नुकसान की तुलना में काफी कम है। पिछले पूरे वित्त वर्ष में 25,000 से अधिक फर्जी कंपनियों के जरिए 61,545 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया था, जिससे यह समस्या की गंभीरता का अंदाजा लगता है।
सरकार की चुनौती
अधिकारियों का कहना है कि फर्जी कंपनियों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। सरकार ने इस पर अंकुश लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी इस दिशा में काफी काम बाकी है। जीएसटी फर्जीवाड़े को रोकने के लिए विशेष अभियान चलाए जा रहे हैं, जैसे कि मई-जून 2023 में शुरू किया गया अभियान, जिसमें 16 राज्यों में 30,000 करोड़ रुपये के घोटाले का खुलासा हुआ था।
विशेषज्ञों ने दी सलाह
विशेषज्ञों का मानना है कि जीएसटी प्रणाली में तकनीकी सुधार, सख्त निगरानी, और डेटा एनालिटिक्स के उपयोग से इस तरह के फर्जीवाड़े पर लगाम लगाई जा सकती है। सरकार ने डिजिटल ट्रैकिंग और आधार-पैन आधारित सत्यापन को और मजबूत करने की योजना बनाई है ताकि भविष्य में ऐसे घोटालों को रोका जा सके।