रेलवे के लिए एसी है कूल
रेलवे को एसी3 टायर में सफर करने वाले यात्रियों से ज्यादा कमाई हो रही है। 2019-20 में एसी3 टायर से 11 करोड़ (कुल यात्रियों का 1.4 प्रतिशत) लोगों ने यात्रा की थी। 2024-25 में इनकी संख्या 26 करोड़ (कुल यात्रियों का 3.5 प्रतिशत) रही। इस दौरान एसी3 टायर से रेलवे का राजस्व 12,370 करोड़ रुपए से बढ़ कर 30,089 करोड़ हो गया। मतलब केवल दो प्रतिशत यात्रियों के बढ़ने से राजस्व करीब ढाई गुना बढ़ गया।
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S3 टायर के यात्री रेलवे के कमाऊ पूत
वित्त वर्ष | यात्री | राजस्व (करोड़ रु.) |
2020 | 11.34 | 12,370 |
2021 | 3.24 | 4,750 |
2022 | 10.31 | 12,225 |
2023 | 18.03 | 21,345 |
2024 | 21.10 | 25,015 |
2025 | 25.97 | 30,089 |
थर्ड एसी से ज्यादा बढ़ा स्लीपर का किराया
एसी3-टायर का औसत किराया भी अन्य क्लास की तुलना में कम बढ़ा है। 2019-20 की तुलना में 2024-25 में एसी3 टायर का किराया प्रति यात्री 7.4 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि एसी फ़र्स्ट क्लास के लिए यह बढ़ोतरी 25.38 प्रतिशत, एसी चेयर कार के लिए 23.24 प्रतिशत और एसी2 टायर के लिए 18.22 प्रतिशत रही। स्लीपर क्लास के मामले में यह आंकड़ा 10.64 फीसदी रहा।2019-20 से 2024-25 के बीच स्लीपर में यात्रा करने वालों की संख्या एक करोड़ बढ़ गई। रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव के मुताबिक 2019-20 से 2023-24 के बीच 6511 नए जनरल डब्बे जोड़े गए। एक डिब्बे में 72 सीट के हिसाब से देखें तो केवल 4,68,792 सीटें ही बढ़ पाईं। कुल मिला कर भी देखें तो पांच साल में सरकार ने 772 नई ट्रेनें चलाई हैं। इनमें लोकल, लंबी दूरी की, वंदे भारत आदि सभी ट्रेनें शामिल हैं। यानि, एसी यात्रियों के लिए भी सीटों की गंभीर किल्लत बनी हुई है।