पाकिस्तान ने वक्फ कानून संशोधन को लेकर दावा किया था कि यह मुस्लिम समुदाय को उनकी संपत्तियों, जैसे मस्जिदों और दरगाहों, से वंचित करने और अल्पसंख्यकों को हाशिए पर धकेलने की साजिश है। इस बयान को भारत ने न केवल आधारहीन बताया, बल्कि इसे पाकिस्तान की अपनी विफलताओं से ध्यान भटकाने की कोशिश भी करार दिया। भारत ने दोहराया कि उसकी संवैधानिक प्रक्रियाएं सभी समुदायों के कल्याण और समानता के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिसका विश्व समुदाय भी सम्मान करता है।
अन्य देशों की प्रतिक्रिया
संयुक्त राज्य अमेरिका: अमेरिका ने इस मुद्दे पर तटस्थ रुख अपनाया। विदेश विभाग के एक प्रवक्ता ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच इस तरह के मुद्दों पर टिप्पणी करना उचित नहीं है, लेकिन धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यक अधिकारों पर दोनों देशों को संवाद बनाए रखना चाहिए।
बांग्लादेश: बांग्लादेश ने भारत के संशोधित वक्फ कानून पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की, लेकिन ढाका में कुछ विश्लेषकों ने इसे भारत का आंतरिक मामला बताया और पाकिस्तान की आलोचना को अनावश्यक हस्तक्षेप करार दिया।
सऊदी अरब: सऊदी अरब ने इस मामले पर चुप्पी साध रखी है। माना जा रहा है कि भारत के साथ मजबूत कूटनीतिक और आर्थिक रिश्तों के चलते वह इस विवाद में नहीं पड़ना चाहता।
यूनाइटेड किंगडम: यूके ने भारत की संप्रभुता का सम्मान करते हुए कहा कि किसी भी देश की विधायी प्रक्रिया उसका आंतरिक मामला है। हालांकि, कुछ ब्रिटिश एनजीओ ने इस मुद्दे को लेकर अल्पसंख्यक अधिकारों पर चर्चा की मांग उठाई।
चीन: चीन ने इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, जो उसकी सामान्य नीति के अनुरूप है, जिसमें वह भारत-पाकिस्तान के द्विपक्षीय विवादों में हस्तक्षेप से बचता है, खासकर जब उसका कोई सीधा हित शामिल न हो।