Bhargavastra: दुश्मनों के ड्रोन की अब खैर नहीं! भारत ने किया भार्गवास्त्र का सफल परीक्षण, जानें इसकी विशेषता
Bhargavastra: सोलर डिफेंस एंड एयरोस्पेस लिमिटेड द्वारा विकसित यह प्रणाली ड्रोन झुंडों (स्वार्म ड्रोन) को नष्ट करने में सक्षम है, जो 2.5 किमी की दूरी तक प्रभावी है।
Bhargavastra: जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की। वहीं इसके बाद पाकिस्तान की ओर से ड्रोन और मिसाइलों से हमले किए गए। भारत ने सभी हमलों को नाकाम कर दिया। वहीं अब भारत ने स्वदेशी रूप से विकसित अत्याधुनिक हाइपरसोनिक मिसाइल सिस्टम भार्गवास्त्र का सफल परीक्षण किया है।
भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में 13 मई को गोपालपुर में रॉकेट के लिए तीन परीक्षण किए गए। एक-एक रॉकेट दागकर दो परीक्षण किए गए। एक परीक्षण 2 सेकंड के भीतर साल्वो मोड में दो रॉकेट दागकर किया गया। सभी चार रॉकेटों ने उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन किया और बड़े पैमाने पर ड्रोन हमलों को कम करने में अपनी अग्रणी तकनीक को रेखांकित करते हुए आवश्यक लॉन्च मापदंडों को हासिल किया।
भार्गवास्त्र की क्या है विशेषता
सोलर डिफेंस एंड एयरोस्पेस लिमिटेड द्वारा विकसित यह प्रणाली ड्रोन झुंडों (स्वार्म ड्रोन) को नष्ट करने में सक्षम है, जो 2.5 किमी की दूरी तक प्रभावी है। यह सिस्टम माइक्रो रॉकेट्स और मिसाइलों से लैस है, जो एक साथ 64 गाइडेड माइक्रो-मिसाइल दाग सकता है।
#WATCH | A new low-cost Counter Drone System in Hard Kill mode 'Bhargavastra', has been designed and developed by Solar Defence and Aerospace Limited (SDAL), signifying a substantial leap in countering the escalating threat of drone swarms. The micro rockets used in this… pic.twitter.com/qM4FWtEF43
बता दें कि इसे भारत में ही विकसित किया गया है। भार्गवास्त्र एक माइक्रो मिसाइल आधारित डिफेंस सिस्टम है। इसे ड्रोन हमलों से निपटने के लिए डिजाइन किया गया है। इस सिस्टम के रडार से 6 से 10 किलोमीटर दूर के हवाई खतरों का मिनट भर में पता लगा सकता है और कुछ सेकेंड्स में बेअसर कर सकता है।
मील का पत्थर हो सकता है साबित
इसे समुद्र तल से 5 हजार मीटर और उससे अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों के साथ-साथ अलग अलग इलाकों में तैनाती के लिए डिजाइन किया गया है। यह देश की सुरक्षा में मील का पत्थर साबित हो सकता है। दरअसल, पिछले दिनों पाकिस्तान ने चीन और तुर्की निर्मित ड्रोनों और मिसाइलों का इस्तेमाल किया है उससे साफ हो गया है कि आगामी समय में ड्रोनों की नई तकनीक को विफल करने की जरूरत पड़ने वाली है।