रक्षा निर्माण इकाइयां ले रही भाग
वहीं रक्षा मंत्रालय ने कहा कि सेना व्यापक प्रतिरक्षा क्षमताओं के विकास और परीक्षण कर रही है। इनमें बड़ी संख्या में रक्षा निर्माण इकाइयां भी भाग ले रही हैं। इन प्रदर्शनों का उद्देश्य युद्ध क्षमता का आकलन करना तथा यह सुनिश्चित करना है कि भारतीय सेना तकनीकी रूप से श्रेष्ठ बनी रहे तथा भविष्य के संघर्षों के लिए परिचालनात्मक रूप से तैयार रहे। बता दें कि आगरा और गोपालपुर में विशेष वायु रक्षा उपकणों का प्रदर्शन किया जायेगा।
थल सेनाध्यक्ष ने देखा स्वदेशी प्रणालियों का प्रदर्शन
थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने बबीना में स्वदेशी प्रणालियों का प्रदर्शन देखा, जो ‘मेक इन इंडिया’ पहल को बढ़ावा देता है। ऑपरेशन शील्ड के तहत सीमावर्ती राज्यों में मॉक ड्रिल भी की जा रही हैं, ताकि दुश्मन की किसी भी हरकत का जवाब दिया जा सके।
बारीकी से किया जा रहा आकलन
बता दें कि इन अभियानों में करीब-करीब वास्तविक युद्ध जैसी परिस्थितियों में अत्याधुनिक रक्षा प्रणालियों के प्रदर्शन का बारीकी से आकलन किया जा रहा है। इन परीक्षणों में अलग अलग इलेक्ट्रानिक सिमूलेशन को समन्वित कर नई विकसित प्रौद्योगिकियों की क्षमता का आकलन किया जा रहा है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद शुरू हुआ परीक्षण
दरअसल, नवीनतम परीक्षण भारत द्वारा ऑपरेशन सिंदूर शुरू किए जाने के कुछ दिनों बाद हुए हैं। पहलगाम आतंकवादी हमले में नागरिकों सहित 26 लोग मारे गए थे। दरअसल, बिहार में रैलियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर को भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमताओं का एक शक्तिशाली प्रदर्शन बताया तथा कहा कि यह ऑपरेशन “तरकश में एक तीर मात्र है” और अभी समाप्त नहीं हुआ है।