बंगाल, असम, बिहार से लेकर दक्षिण भी है चाय का दीवाना
बंगाल, असम, बिहार, झारखंड के ज्यादातर शहरों में आपको चायपत्ती बेचने वालों की अलग दुकानें मिल जाएंगी। इन दुकानों की शान शीशे के मर्तबानों से लेकर टीन के कन्स्तरों में अलग-अलग तरह की चायें बढ़ाती हुई नजर आती हैं। किसी से मिलना हो, बतियाना हो तो चाय पर बुलाने का रिवाज बहुत पुराना हो चुका है। वैसे तो भारतीयों के लिए हर मौसम में चाय पेय पदार्थ के तौर पर पहली पसंद होती है लेकिन सर्दियों में तो चाय आम से खास बन जाती है। भारत में चाय की पैदावर पश्चिम बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु कश्मीर, हिमाचल में होती है। केरल में मुन्नार वैली और इडुक्की की पीरूमडे पहाड़ियों पर चाय के बड़े-बड़े बागान और चायपत्तियों की प्रोसेसिंग यूनिट बड़ी तादाद में मिल जाएंगी।
चाय के दीवानों का शहर है भोपाल
Bhopal Ki Chai: भोपाल को भी चाय के दीवानों का शहर कहा जाता है। वहां के पुराने शहर की तंग गलियां हों या नए शहर के चौराहे और होटल, चाय की दुकानें। भोपाल में चाय के कद्रदानों की कमी नहीं है। पुराने शहर की नमकीन चाय न सिर्फ भोपालियों के बीच, बल्कि बाहर के लोगों को भी आकर्षित करती है। इतवारा, बुधवारा, जहांगीराबाद सहित पुराने शहर में अनेक स्थानों पर इस चाय का स्वाद लेते हुए लोग मिल जाएंगे। शहर में नमक वाली सुलेमानी, तूफानी, जाफरानी के साथ-साथ कई फ्लेवर में चाय उपलब्ध है। ये चाय अब स्वाद से बढ़कर भोपाल की संस्कृति का हिस्सा बन चुकी है। रोजाना एक क्विंटल से अधिक दूध की चाय
बुधवारा में सुलेमानी नमकीन चाय का स्टॉल लगाने वाले मुमताज उमर ने बताया कि हम कई सालों से यहां सुलेमानी चाय बेच रहे हैं। पानी, शक्कर, दूध के साथ स्वाद के लिए इसमें थोड़ा नमक भी डाला जाता है, जो इसका जायका और बढ़ा देता है। पूरे दिन चाय का पतीला चढ़ा रहता है और चाय उबलती रहती है। इस चाय की कीमत 8 रुपए है। रोजाना एक क्विंटल से अधिक दूध की चाय बन जाती है।
लखनऊ के गुलाब टी स्टॉल पर प्रेमियों की लगी रहती है भीड़
Lucknow Gulab Chai Waala: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में वैसे तो कई चाय बेचने वाले मशहूर हैं लेकिन गोमती नगर इलाके के हुसड़िया चौराहे पर जयपुरिया संस्थान के सामने स्थित गुलाब टी स्टॉल वाले का आकर्षण तो देखते ही बनता है। गुलाब टी स्टॉल सुबह 5 बजे लेकर रात 10 बजे तक खुली रहती है। यहां कभी भी पहुंच जाइए आपको हमेशा भीड़ मिलेगी। यह पीतल की बर्तन में चाय उबाली जाती है। इस स्टॉल पर मिलने वाले बन मक्खन, मैगी, क्रिस्पी कॉर्न, फिंगर, रोल और बहुत सारे चाइनीज खाने के आइटम लोगों को अपना दीवाना बनाती है।
हैदराबाद की ईरानी चाय की दुनिया दीवानी
Hyderabadi Irani Chai: हैदराबाद में हर मोहल्ले में चाय की 50 से ज्यादा स्टॉल मिल जाएंगी। यहां सुबह से लेकर देर रात तक लोग चाय पीते और गप्पे मारते हुए लोग नजर आ जाएंगे। हैदाराबाद में ईरानी चाय का फ्लेवर तो इस शहर के और शहर में घूमने आने वाले लोग लेना भूलते। ईरानी चाय में हल्का खारापन होता है जो इसकी पहचान को खास बनाता है। हैदराबाद में बेक्ड बिस्कुट के साथ ईरानी चाय का लोग भरपूर आनंद लेते हैं। हैदराबाद की मशहूर चाय की दुकानों में से चारमीनार के पास निम्रा कैफे, कैफे नीलोफर, बंजारा हिल्स और जुबली हिल्स में ऊंची चाय की दुकानें काफी प्रसिद्ध हैं। ईरानी चाय के लिए निम्रा कैफे सर्वाधिक प्रसिद्ध है। कैफे नीलोफर की शुरूआत 1978 में ए. बाबू राव ने की थी।
गुलाब जी चाय वाले पर स्टॉल पर इसलिए लगी रहती है भीड़
Jaipur Gulab jee Chai waala: जयपुर में गुलाब जी चाय वाले, टपरी से लेकर एमबीए चाय वाला समेत कई प्रसिद्ध चाय की दुकाने हैं। इस गुलाबी शहर में मिर्जा इस्माइल यानी एमआई रोड पर गणपति प्लाजा में गुलाब जी चाय वाले की बात करें तो सिटी का शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति है जिन्होंने इनकी चाय ना पी हो। गुलाब जी चाय वाले ने 1946 में सिर्फ 130 रुपये की लागत से चाय की दुकान खोली थी। चाय की कीमत रखी थी महज 50 पैसे। समय के साथ गुलाब जी चाय वाले की मकबूलियत शहर में फैलती गई कि यहां के लोगों की जुबान एक मुहावरा चढ़ गया है- आपने गुलाब जी की चाय नहीं पी तो क्या पी। यहां सुबह से लेकर रात तक लोगों का जत्था बन और मक्खन के साथ चाय की चुस्कियां लेता हुआ दिख जाएगा। गुलाब जी चाय वाले की उदारता के चलते भी उनकी दुकान पर भीड़ जमी रहती है। वह गरीबों को फ्री में चाय और मस्का का आस्वाद लेने देते हैं।
लैप्चू से लेकर डस्ट टी से पूरा होता है शौक
भोपाल के गौतम नगर चाय स्टूडियो के 28 वर्षीय निवेश शर्मा ने बताया कि उनके यहां चाय के 15 फ्लेवर हैं। उन्होंने 2019 में इसकी शुरुआत की थी और अब शहर में तीन ब्रांच हैं। हमारे यहां लेमन टी, चॉकलेट, अदरक, लेमन आइस सहित अन्य फ्लेवर हैं और कीमत 10 से 40 रुपए तक है। लेमन आइस टी जो ठंडी होती है, खूब पसंद की जाती है। वहीं बिहार के जमालपुर शहर के एक चायपत्ती बिक्रेता ने कहा कि हमारे पास दो दर्जन से ज्यादा चायपत्ती मिलती है। सस्ते से लेकर महंगी चाय की पत्तियां बेचता हूं। पैसे वाला लैप्चू जैसे ब्रांड, लीफ टी पीते हैं जबकि आम आदमी डस्ट टी पीकर अपना शौक पूरा करता है।
संकट में दार्जिलिंग चाय उद्योग
Darjeeling Tea Industry Crisis: दार्जिलिंग चाय उद्योग गहरे संकट में है। जलवायु परिवर्तन, नेपाल से आयात, घटते निर्यात और बढ़ती लागत के कारण उत्पादन 30 साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है। अधिक कीमतों में प्रतिस्पर्धा मुश्किल हो गई है। नीति और उद्योग सहयोग के बिना इसका भविष्य संकट में है। इससे इतर यहां के चाय बागानों में काम करने वाले मजदूरों के शोषण की खबरें भी बहुत आम है।