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झारखंड हाईकोर्ट ने विधवा के पक्ष में फैसला सुनाया, कहा- महिला की आमदनी नहीं तो ससुर-देवर से भरण-पोषण की हकदार

झारखंड हाईकोर्ट ने विधवा के पक्ष में फैसला सुनाया है। विधवा ने सुसराल वालों पर आरोप लगाया था कि पति की मौत के बाद उसे ससुराल से निकाल दिया गया। पति की संपत्ति में भी हिस्सा नहीं दिया गया है। इसके बाद HC ने ससुराल पक्ष को गुजारा भत्ता देने के आदेश दिए।

रांचीJul 05, 2025 / 08:26 am

Pushpankar Piyush

Deepa is no less than MP Sonam with her lover she husbandthroat was strangled with a Wipes But this mistake exposed murder

फाइल फोटो पत्रिका

झारखंड हाईकोर्ट (Jharkhand High Court) ने एक अहम फैसले में कहा है कि विधवा बहू (widow) और उसके नाबालिग बच्चे यदि अपना गुजारा करने में असमर्थ हैं और ससुराल वालाें के पास संयुक्त संपत्ति है तो वह ससुर व देवर से भी भरण-पोषण कानून के तहत गुजारा भत्ता की हकदार है। जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस राजेश कुमार की बेंच ने ससुर की अपील खारिज करते हुए यह आदेश दिया।

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फैमिली कोर्ट ने दिया था गुजारा भत्ता का आदेश

फेमिली कोर्ट ने बहू की अर्जी पर ससुराल वालों की ओर से उसे प्रतिमाह 3000 रुपए और दो नाबालिग बच्चों के लिए 1000 रुपए गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था। जिसे ससुर ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के फैसले को सही माना कि विधवा महिला बच्चों के साथ अपने पीहर रहती है और उसके गुजारे के लिए कोई आय नहीं है। उसके पति की संपत्ति का कोई बंटवारा भी नहीं हुआ है। पीहर में महिला के पिता की भी कोई कमाई नहीं है। इसलिए वह ससुराल से गुजारा भत्ता की हकदार है।

ससुराल पक्ष पर लगाया था आरोप

विधवा ने अपने नाबालिग पुत्र और पुत्री के साथ यह आरोप लगाया था कि जनवरी 2022 में पति की मृत्यु के बाद उसे ससुराल से निकाल दिया गया। उसे पति की संपत्ति और आय से वंचित कर दिया गया। ससुराल पक्ष के द्वारा किसी प्रकार का आर्थिक सहयोग नहीं दिया गया। पारिवारिक न्यायालय ने मौखिक और दस्तावेजी साक्ष्यों के आधार पर याचिकाकर्ता के ससुर और देवर को आदेश दिया कि वे विधवा को ₹3000 प्रति माह और प्रत्येक नाबालिग बच्चे को ₹1000 प्रति माह भुगतान करें, यह आदेश वाद दायर करने की तिथि से प्रभावी होगा। इस फैसले के खिलाफ महिला के ससुर ने कोर्ट का रूख किया था।

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