सुबह 6.30 बजे शुरू हुई गोलीबारी
बता दें कि मांझी पर 5 लाख रुपये का इनाम रखा गया था। बताया जा रहा है कि गोलीबारी सुबह करीब 6.30 बजे शुरू हुई। झारखंड पुलिस और सीआरपीएफ की 209 कोबरा यूनिट ने मिलकर नक्सलियों के खिलाफ अभियान चलाया। बता दें कि सीआरपीएफ की कोबरा यूनिट, एक विशेष इकाई है, जो गुरिल्ला युद्ध और जंगल अभियानों के लिए प्रशिक्षित है। सीआरपीएफ के एक बयान के अनुसार, सुरक्षा बलों ने घटनास्थल से एक एके-47 राइफल बरामद की है, जिससे पता चलता है कि मारे गए नक्सली किसी बड़े पद पर थे।
कई हमलों के लिए जिम्मेदार रहा है सहदेव
मांझी प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) का एक उप-क्षेत्रीय कमांडर था, जो झारखंड और अन्य नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा कर्मियों और बुनियादी ढांचे पर कई हमलों के लिए जिम्मेदार रहा है। 209 कोबरा इकाई के सीआरपीएफ कांस्टेबल प्राणेश्वर कोच को अभियान के दौरान चेहरे पर गोली लगी। अब सीआरपीएफ जवान की हालत गंभीर बताई जा रही है और उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
इस ऑपरेशन को क्षेत्र में चल रहे नक्सल विरोधी अभियान के लिए एक महत्वपूर्ण सफलता माना जा रहा है। हाल के महीनों में मध्य और पूर्वी भारत के जंगली और पहाड़ी इलाकों में सक्रिय विद्रोही नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए तीव्र प्रयास किए गए हैं।
झारखंड के इन जिलों में नक्सलियों का अधिक प्रभाव
झारखंड नक्सली उग्रवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में से एक है। जहां बोकारो, लातेहार और चतरा जैसे जिलों में सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच अक्सर मुठभेड़ें होती रहती हैं। झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा और बिहार सहित कई राज्यों में माओवादी प्रभाव को कमजोर करने में नक्सल विरोधी अभियानों में कोबरा बल की तैनाती महत्वपूर्ण रही है। स्वतंत्रता दिवस से पहले सुरक्षा एजेंसियों ने अपने अभियान तेज कर दिए हैं, जिसे अक्सर माओवादी तत्वों के बढ़ते खतरे का समय माना जाता है।