महिला नागा संन्यासियों की भी बड़ी संख्या
महिला नागा संन्यासियों की भी बड़ी संख्या में मौजूदगी रही। पुरुष नागाओं की तरह ही महिला नागा संन्यासी भी उसी ढंग से तप और योग में लीन रहती हैं। फर्क सिर्फ इतना होता है कि ये गेरुआ वस्त्र धारण करती हैं, उसमें भी ये बिना सिलाया वस्त्र धारण करती हैं। उन्हें भी परिवार से अलग होना पड़ता है। खुद के साथ परिवार के लोगों का पिंड दान करना होता है, तब जाकर महिला नागा संन्यासी बन पाती हैं। अमृत स्नान के लिए ज्यादातर अखाड़ों का नेतृत्व कर रहे इन नागा साधुओं का अनुशासन और उनका पारंपरिक शस्त्र कौशल देखने लायक था। कभी डमरू बजाते हुए तो कभी भाले और तलवार लहराते हुए, इन साधुओं ने युद्ध कला का अद्भुत प्रदर्शन किया। लाठियां भांजते और अठखेलियां करते हुए ये साधु अपनी परंपरा और जोश का प्रदर्शन कर रहे थे। अखाड़ों की शोभायात्रा में कुछ नागा साधु घोड़े पर सवार थे तो कुछ पैदल चलते हुए अपनी विशिष्ट वेशभूषा और आभूषणों से सजे हुए थे। जटाओं में फूल, फूलों की मालाएं और हवा में त्रिशूल लहराते हुए उन्होंने महाकुंभ की पवित्रता को और भी बढ़ा दिया। महाकुंभ 2025 का यह आयोजन नागा साधुओं की विशिष्ट गतिविधियों के कारण लंबे समय तक याद रखा जाएगा।
ठंडे पानी में नागा साधुओं की अठखेलियां
स्व-अनुशासन में रहने वाले ये नागा साधु अपने अखाड़ों के शीर्ष पदाधिकारियों के आदेशों का पालन करते हुए आगे बढ़े। उन्होंने अपने व्यवहार और प्रदर्शन से यह संदेश दिया कि महाकुंभ केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि मनुष्य के आत्मिक और प्राकृतिक मिलन का उत्सव है। त्रिवेणी संगम में उन्होंने पूरे जोश के साथ प्रवेश किया और बर्फ के समान पानी के साथ ऐसे अठखेलियां की जैसे वे गुनगुने पानी में उतरे हों।
करोड़ों श्रद्धालुओं पर हेलिकॉप्टर से पुष्पवर्षा
महाकुंभ के पहले अमृत स्नान पर डुबकी लगाने पहुंचे करोड़ों श्रद्धालुओं पर योगी सरकार ने हेलिकॉप्टर से पुष्पवर्षा कराई। सभी घाटों और अखाड़ों पर स्नान के दौरान गुलाब की पंखुड़ियों की बारिश देख संगम तट पर मौजूद श्रद्धालुओं ने अभिभूत होकर ‘जय श्री राम’ और ‘हर हर महादेव’ के नारे लगाए। प्रत्येक स्नान पर्व पर लगभग 20 क्विंटल गुलाब की पंखुड़ियों की बारिश करने की तैयारी है।