कर्नाटक के बीदर जिले के भालकी तालुक के वरवती गांव में 21 जुलाई, 1942 को जन्मे खड़गे एक दलित परिवार से आते हैं। उनका राजनीतिक सफर दशकों लंबा रहा है।
खड़गे का राजनीतिक सफर
राजनीति में आने से खड़गे पेश से वकील थे। वह वकालत किया करते थे। साल 1969 में उन्होंने कांग्रेस का हाथ थामा था, फिर उन्हें पार्टी में अलग-अलग जिम्मेदारी मिलती रही। 1972 में वह पहली बार विधायक बने। फिर लगातार नौ बार उसी सीट से विधायक रहे। इतना ही नहीं एक बार खड़गे कर्नाटक का सीएम बनते बनते भी रह गए। इसके बाद, 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के खिलाफ खड़गे ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद साल 2019 में वह लोकसभा सांसद का चुनाव हार गए थे।
खड़गे 2022 से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष और 2021 से राज्यसभा में विपक्ष के नेता के रूप में कार्यरत हैं। वह साल 2020 कर्नाटक से राज्यसभा सांसद चुने गए थे।
कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए थरूर के साथ हुआ मुकाबला
खड़गे के राजनीतिक करियर से जुड़े ऐसे कई किस्से हैं, जो बेहद दिलचस्प रहे हैं। दरअसल, अक्टूबर, 2022 में कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव था। इसमें खड़गे के खिलाफ शशि थरूर खड़े थे। मगर, तब उनका सिक्का नहीं चल पाया। खड़गे ने बड़ी मार्जिन के साथ शशि थरूर को हराया था। ऐसा माना जाता है कि शशि थरूर के अंदाज में आज भी इस हार की टीस दिखतीहै। कांग्रेस के कई नेता बार बार ऐसा आरोप लगाते हैं कि थरूर पार्टी लाइन से अलग हटकर बात करते हैं। वह कांग्रेस में रहकर भाजपा का समर्थन करते हैं।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद आतंकवाद पर भारत के रुख को उजागर करने के लिए कूटनीतिक प्रयासों के तहत मोदी सरकार की तरफ से थरूर को विदेश भेजा गया था। प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस के किसी अन्य नेता को तव्वजो नहीं मिलने पर खूब बवाल हुआ था।
इतना ही नहीं, थरूर ने भी पार्टी तब एक ऐसा बयान दे दिया था, जिसको लेकर कांग्रेस नेताओं को मिर्ची लग गई थी। उन्होंने साफ साफ कहा था कि उनके लिए देश पहले है और पार्टी बाद में।
इस बयान के बाद तमाम कांग्रेस नेता उनके खिलाफ हो गए। आज भी उन्हें बाहरी बताते हैं। हाल ही में एक नेता ने यह तक कह दिया कि उन्हें पार्टी के किसी भी कार्यक्रम में नहीं आमंत्रित किया जाएगा। हालांकि, थरूर भी अपनी पार्टी को लेकर बार बार सफाई देते हैं। उन्होंने हाल ही में कहा कि वह कांग्रेस के लिए आज भी ‘विश्वास पात्र’ हैं।