मंत्रिपरिषद में बन सकते हैं 9 नए मंत्री
फेरबदल का मुख्य आधार परफॉर्मेंस, बिहार, बंगाल और यूपी जैसे चुनावी राज्यों को ज्यादा प्रतिनिधित्व और नए चेहरों के जरिए मंत्रिपरिषद को और ‘युवा’ बनाना है। एक साल पहले नौ जून को प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने 72 सदस्यीय मंत्रिपरिषद के साथ शपथ ली थी। निर्धारित सीमा के तहत अभी 9 मंत्री बनने की गुंजाइश है।
क्यों जरूरी है फेरदबल
मोदी ने तीसरे कार्यकाल में मंत्रिमंडल में अधिकतर पुराने चेहरों को रिपीट किया था। सूत्रों का कहना है कि एक साल बाद मोदी बड़े फेरबदल से बड़ा संदेश दे सकते हैं। भारतीय विदेश सेवा के पूर्व अफसर हर्षवर्धन श्रृंगला के राज्यसभा भेजे जाने के बाद उन्हें बड़ी जिम्मेदारी मिलने के संकेत मिल रहे हैं। भले ही मनोनीत सदस्यों के मंत्री बनाए जाने की परंपरा नहीं है, लेकिन मनोनयन के छह महीने के भीतर पार्टी का सदस्य बनने और मंत्री बनने पर कोई रोक नहीं है। एनडीए में शामिल हुए बिहार के कोईरी नेता उपेंद्र कुशवाहा को भाजपा राज्यसभा भेज चुकी है और उनका मंत्रिमंडल में जाना तय माना जा रहा है।
इन मंत्रालयों में हो सकता परिवर्तन
सूत्रों का कहना है कि आदिवासी, अल्पसंख्यक, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय में फेरबदल हो सकता है। अन्य मंत्रालयों में राज्य मंत्री स्तर पर फेरबदल संभावित है। बीते दिनों प्रधानमंत्री मोदी ने मंत्रिपरिषद की बैठक में सभी विभागों और मंत्रियों से प्रजेंटेशन लिया था। इसके आधार पर भी मंत्रियों की परफार्मेंस रिपोर्ट तैयार हुई है।