भाजपा के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव तभी हो सकता है जब कम से कम 50% राज्य इकाइयों में नए अध्यक्ष चुन लिए जाएं। वर्तमान में केवल 14 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में ही नए अध्यक्ष नियुक्त किए गए हैं, जबकि उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना जैसे प्रमुख राज्यों में यह प्रक्रिया अधूरी है।
नड्डा को मिला विस्तार
वर्तमान भाजपा अध्यक्ष जे. पी. नड्डा का कार्यकाल पिछले साल जून में समाप्त हो गया था, लेकिन उन्हें विस्तार दिया गया और साथ ही कैबिनेट मंत्री भी बना दिया गया। अब जब पार्टी के कई राज्य संगठन ‘तिरंगा यात्रा’ और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता को लेकर जनसंपर्क में व्यस्त हैं, तब भी आंतरिक कलह सामने आ रही है।
मध्य प्रदेश में असंतोष
मध्य प्रदेश में कई भाजपा विधायक खुलकर मोहान यादव सरकार की आलोचना कर चुके हैं। आरोप लगे हैं कि सरकार में भ्रष्टाचार और पक्षपात हो रहा है। अलोट विधायक चिंतामणि मालवीय को उज्जैन सिंहस्थ भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर पार्टी ने कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है। वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष वी.डी. शर्मा का कार्यकाल समाप्त हो चुका है और वह भी विस्तार पर हैं।
गुजरात में दोराहे पर संगठन
गुजरात में जहां भाजपा का मजबूत संगठन है, वहां भी नए अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर असमंजस है। मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष और जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल का ध्यान केंद्र और राज्य दोनों जगह बंटा हुआ है। कई स्थानीय विवाद भी सतह पर आ गए हैं, जिसमें मनरेगा घोटाले और कुछ नेताओं के नाम पोंजी स्कैम से जुड़े हैं। पढ़ें-
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उत्तर प्रदेश में मामला और पेचीदा है। यहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता स्पष्ट है, लेकिन ओबीसी नेताओं का एक वर्ग शीर्ष नेतृत्व में बदलाव चाहता है। 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की सीटें 63 से घटकर 33 रह गईं, जिससे ओबीसी वोट बैंक को लेकर पार्टी चिंतित है।
बंगाल और तेलंगाना में भी संकट
पश्चिम बंगाल में भी दिलीप घोष और सुवेंदु अधिकारी के बीच खींचतान है। नामों की चर्चा के बावजूद केंद्रीय नेतृत्व फैसला नहीं कर पा रहा है। तेलंगाना में गृह मंत्री जी. किशन रेड्डी की जगह नए अध्यक्ष की तलाश जारी है, जहां बंडी संजय कुमार और ईटेला राजेंद्र जैसे नेता दावेदार हैं।
मतभेद, संगठनात्मक असंतोष और नेतृत्व को लेकर खींचतान
इन तमाम राज्यों में मतभेद, संगठनात्मक असंतोष और नेतृत्व को लेकर खींचतान के कारण भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व अभी तक नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा नहीं कर सका है। जब तक राज्य इकाइयों में संतुलन नहीं बनता, तब तक यह नियुक्ति टलती ही रहेगी।