विधानसौधा की भव्य सीढिय़ों पर जश्न मनाने और आरसीबी खिलाड़ियों को सम्मानित करने का फैसला कथित तौर पर गृह विभाग से परामर्श लिए बिना किया गया था। सूत्रों का कहना है कि कर्नाटक राज्य क्रिकेट एसोसिएशन (KSCA) की ओर से एक पत्र सुबह 7.30 बजे मुख्यमंत्री के कार्यालय पहुंचा। पत्र पर कार्रवाई करते हुए बिना किसी देरी के निर्णय हो गया।
दावा किया जा रहा है कि इसमें मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव के. गोविंदराज (जिन्हें सरकार ने बर्खास्त कर दिया है) और एक वरिष्ठ महिला नौकरशाह की अहम भूमिका रही। गृह मंत्री डॉ. जी.परमेश्वर को लगभग 11.30 बजे इसके बारे में सूचित किया गया। परमेश्वर ने इस तरह के समारोह की मेजबानी के खिलाफ राय दी। खासकर, खुले वाहन में विजय जुलूस निकालने पर उन्होंने आपत्ति जताई। गृह विभाग के तहत आने वाला पुलिस प्रशासन भी इसके खिलाफ था और अधिकारियों ने बिना पूर्व तैयारी के कार्यक्रम के आयोजन को लेकर चिंता जताई थी।
मुख्यमंत्री से मिलकर गृहमंत्री ने जताई नाराजगी
सूत्रों का कहना है कि घटना के बाद परमेश्वर ने मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या से मुलाकात की और कड़े शब्दों में असंतोष व्यक्त किया। उन्होंने कथित तौर पर कहा कि गृह विभाग से परामर्श किए बिना लिए जा रहे निर्णय पुलिस प्रणाली के नैतिक अधिकार को चुनौती देते हैं। परमेश्वर ने मुख्यमंत्री से साफ कहा कि यदि सरकार के निर्णय गृह विभाग की राय पर विचार किए बिना लिए जाने हैं, तो उनका विभाग बदल दें।
विभाग में हो रहे हस्तक्षेप से परमेश्वर नाखुश
परमेश्वर ने इसके बाद अपने करीबी सहयोगियों से भी अपनी शिकायतें साझा की हैं। सूत्रों का कहना है कि परमेश्वर ने तटीय कर्नाटक की हाल की हिंसा की घटनाओं पर निराशा जाहिर की साथ ही, विधान परिषद में मंत्री लक्ष्मी हेब्बालकर और भाजपा के सी.टी. रवि से जुड़े प्रकरण पर भी नाराजगी व्यक्त की। आरसीबी की जीत के जश्न के दौरान हुई त्रासदी ने राज्य मंत्रिमंडल के भीतर मतभेद को और बढ़ा दिया है। कैबिनेट के भीतर काफी तनाव व्याप्त है।