एनसीपीआई का बड़ा फैसला
एनसीपीआई ने यह कदम इसलिए उठाया है ताकि यूपीआई नेटवर्क पर जरूरत से ज्यादा लोड न पड़े। सर्कुलर में यह भी साफ कहा गया है कि बैंक और पेमेंट ऐप्स को यह सुनिश्चित करना होगा कि हर यूपीआई अनुरोध की स्पीड और संख्या को नियंत्रित किया जाए।
पीक आवर्स में और भी सख्त नियम
एनसीपीआई ने यूपीआई ट्रांजैक्शन के लिए कुछ खास समय को ‘पीक ऑवर्स’ बताया है, जैसे- सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक और शाम 5 बजे से रात 9:30 बजे तक। इन समयों के दौरान कुछ बैकएंड प्रोसेस को सीमित किया जाएगा, ताकि सिस्टम पर ज्यादा दबाव न पड़े।
एक दिन में इतनी बार ही चेक कर सकेंगे बैलेंस
नए आदेश के मुताबिक, 31 जुलाई 2025 से कस्टमर एक ऐप पर एक दिन में अधिकतम 50 बार ही बैलेंस चेक कर सकेंगे। पीक आवर्स में बैलेंस चेक करने जैसे अनुरोधों को सीमित किया जाएगा या रोका जाएगा। बैंक को हर लेनदेन के बाद ग्राहकों को बैलेंस की जानकारी भेजनी होगी, ताकि ग्राहक बार-बार बैलेंस चेक न करें। ऑटोपे केवल नॉन-पीक आवर्स में ही काम करेगा
जो लोग ओटीटी प्लेटफॉर्म्स, एसआईपी या अन्य सर्विस के लिए यूपीआई ऑटोपे का इस्तेमाल करते हैं, उनके लिए भी अब नई शर्तें होंगी। ऑटोपे ऑथराइजेशन और डेबिट प्रोसेसिंग सिर्फ नॉन-पीक टाइम में ही हो पाएगी। नए निर्देशों के मुताबिक, एक ऑटोपे मैन्डेट के लिए केवल एक प्रयास किया जाएगा, हर प्रयास में 3 बार तक ट्राय किया जा सकता है, लेकिन ये सब टीपीएस (ट्रांजैक्शन प्रति सेकंड) लिमिट के तहत और सिर्फ नॉन-पीक समय में ही होंगे।
…तो ट्रांजैक्शन माना जाएगा फेल
अगर कोई ट्रांजैक्शन फेल या पेंडिंग हो जाता है को उस ट्रांजैक्शन की स्टेटल बार-बार चेक करने पर भी लिमिट होगी। किसी भी ट्रांजैक्शन के लिए दो घंटे में अधिकतम तीन बार ही स्टेटस चेक किया जा सकेगा। कुछ खास एरर कोड मिलने पर बैंकों को वह ट्रांजैक्शन फेल मानना होगा।