जांच और रिपोर्ट की मांग
याचिका में केंद्र, विधि और न्याय मंत्रालय, विधि आयोग और नीति आयोग को मामले में पक्ष बनाया गया है। याचिका में सर्वोच्च न्यायालय से नीति आयोग को याचिका में उठाए गए तर्कों पर विचार करने और टीडीएस प्रणाली में आवश्यक बदलावों का सुझाव देने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है। विधि आयोग को टीडीएस प्रणाली की वैधता की जांच करनी चाहिए और तीन महीने के भीतर एक रिपोर्ट तैयार करनी चाहिए, यह मांग की गई।
कमजोर वर्ग के लोगों के लिए बोझ
याचिका में कहा गया है कि यह प्रणाली आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों और कम आय वालों पर असंगत रूप से बोझ डालकर अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करती है, जिनके पास इसकी तकनीकी आवश्यकताओं को पूरा करने की क्षमता नहीं है। अनुच्छेद 23 का हवाला देते हुए याचिका में कहा गया है कि निजी नागरिकों पर कर संग्रह शुल्क लगाना जबरन श्रम के समान है। आयकर अधिनियम के तहत टीडीएस ढांचे में भुगतानकर्ता द्वारा भुगतान के समय कर की कटौती और आयकर विभाग के पास जमा करना अनिवार्य है। इन भुगतानों में वेतन, संविदा शुल्क, किराया, कमीशन और अन्य कर योग्य राशियाँ शामिल हैं। कटौती की गई राशि को भुगतानकर्ता की कर देयता के विरुद्ध समायोजित किया जाता है।