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RG Kar Rape Verdict: दोषी करार देने से पहले जेल में संजय ने खाया था मटन, फैसला सुनने के बाद हुआ खामोश, आज मिलेगी सजा

RG Kar Rape Murder Case: कोलकाता के आरजी कर कॉलेज अस्पताल की ट्रेनी डॉक्टर से रेप और हत्या के मामले में दोषी करार मिलने के बाद से आरोपी संजय रॉय ने चुप्पी साध ली है। जेल अधिकारी से मिली जानकारी में बताया गया की वह हैरान और उदास था। उसने किसी से बात नहीं की।

कोलकाताJan 20, 2025 / 01:41 pm

Devika Chatraj

Kolkata Rape Murder Case: पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के आरजी कर मामले (RG Kar Rape Case) में आज सजा का ऐलान होगा। आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक महिला प्रशिक्षु (Trainee) चिकित्सक के साथ दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में दोषी करार दिए गए संजय रॉय (Sanjay Roy) को कोलकाता की एक अदालत आज दोपहर में सजा सुनाएगी। इस मामले को लेकर उनकी मां और बहन का भी बयान सामने आया है लेकिन शनिवार को सियालदह अदालत द्वारा दोषी करार दिए जाने के बाद से ही संजय रॉय चुप्पी साधे हुआ है।

शनिवार से चुप्पी साधे दिखा रॉय

रॉय ने शुक्रवार को प्रेसिडेंसी जेल में अन्य कैदियों की तरह रात के भोजन में मटन खाया था। यह घटना आरजी कर द्वारा जूनियर डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के मामले में फैसला सुनाए जाने से एक दिन पहले की है, जिसमें वे एकमात्र आरोपी थे। शनिवार को सियालदह अदालत द्वारा दोषी करार दिए जाने के बाद भी वह चुप रहे और उन्होंने रात्रि भोजन भी नहीं किया। उसे जिन आरोपों में दोषी ठहराया गया है, उसके अनुसार उसे आजीवन कारावास या मृत्युदंड की सज़ा हो सकती है।

दोषी करार के बाद चुप हुए संजय

जेल सूत्रों ने बताया कि शनिवार दोपहर अदालत से जेल लौटने के बाद से रॉय “बिल्कुल चुप” हैं। उन्होंने कहा कि रॉय एक लापरवाह व्यक्ति था और अक्सर अपने सेल के बाहर संतरियों से बात करते हुए “मूर्खतापूर्ण हँसी” उड़ाता था। लेकिन शनिवार के दिन वह सुन्न दिखाई दिया। उसने बस एक कप चाय माँगी। जेल अधिकारीयों द्वारा बताया गया रविवार को बताया, “उनके बारे में जो कुछ भी कहा जा रहा है, उसके बावजूद उनका मनोबल कभी कम नहीं हुआ। वह अक्सर संतरियों से बातें करते और हंसते रहते थे।”

हैरान परेशान संजय

जेल अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया की वह हैरान और उदास था। उसने किसी से बात नहीं की। जब रात का खाना (चावल, दाल और सब्जी) सेल के अंदर परोसा गया, तो उसने जेल अधिकारी से कहा कि वह बाद में खाएगा। हालांकि, रविवार की सुबह खाना बिना छुए पाया गया। रॉय ने अन्य दिनों की तरह शनिवार को भी अदालत ले जाने से पहले दोपहर का भोजन किया था। अन्य विचाराधीन कैदियों के विपरीत, रॉय जो पांच महीने से प्रेसीडेंसी जेल में हैं, को मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए दिन के अधिकांश समय अपनी कोठरी के अंदर ही बंद रखा गया है।

क्या है पूरा मामला?

सियालदह की अदालत के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनिर्बान दास ने शनिवार को संजय रॉय को पिछले साल नौ अगस्त को अस्पताल में स्नातकोत्तर प्रशिक्षु महिला चिकित्सक के साथ दुष्कर्म और हत्या का दोषी करार दिया था। इस जघन्य अपराध के कारण देश भर में आक्रोश फैल गया था और लंबे समय तक विरोध प्रदर्शन जारी रहा था।

10 अगस्त 2024 को किया गिरफ्तार

संजय को आरजी कर अस्पताल के सेमिनार कक्ष में 31 वर्षीय चिकित्सक का शव पाए जाने के एक दिन बाद 10 अगस्त 2024 को गिरफ्तार किया गया था। न्यायाधीश ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 64, 66 और 103(1) के तहत उसे दोषी ठहराया है।

क्या है सजा का प्रावधान?

BNS (Bharatiya Nyaya Sanhita) की धारा 64 (दुष्कर्म) के तहत कम से कम 10 साल की सजा का प्रावधान है, जो आजीवन कारावास तक हो सकती है। धारा 66 के तहत कम से कम 20 साल की सजा का प्रावधान है और यह आजीवन कारावास तक हो सकती है। बीएनएस की धारा 103(1) (हत्या) के तहत दोषी को मृत्युदंड या आजीवन कारावास का प्रावधान है।

संजय की मां ने कही बड़ी बात

मीडिया से बातचीत में मालती रॉय ने कहा, अगर मेरा बेटा दोषी है तो उसे उसके किए की सजा मिलनी चाहिए, भले वह सजा फांसी क्यों न हो। मैं अकेले में रो लूंगी, लेकिन उसकी सजा को नियति मानकर स्वीकार करूंगी। यह पूछने पर कि क्या वह अदालती सुनवाई के दौरान या थाने में रॉय से मिली थीं, उन्होंने कहा, नहीं, मैं क्यों जाऊंगी? अगर आरोप झूठे पाए जाते तो खराब स्वास्थ्य के बावजूद उससे मिलने की कोशिश करती।

‘मेरे भाई ने जो किया, वह अविश्वसनीय और भयानक’

संजय रॉय की बहन सबिता ने कहा, मेरे भाई ने जो किया, वह अविश्वसनीय और भयानक है। यह कहते हुए मेरा दिल टूट रहा है, लेकिन अगर उसने अपराध किया है तो उसे सबसे कड़ी सजा मिलनी चाहिए। पीडि़ता महिला थी और डॉक्टर भी। मलती रॉय और सबिता न्यायिक हिरासत के दौरान कभी संजय से मिलने नहीं गईं। संजय की बड़ी बहन सबिता ने कहा कि परिवार की किसी भी अदालत में फैसले को चुनौती देने की योजना नहीं है।

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