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पीएम की रैली में सिंदूरी साड़ी और सिंदूर का सियासी रंग, महिला वोटबैंक साधने की साधना

ऑपरेशन सिंदूर के जरिए बीजेपी महिला वोटबैंक को न सिर्फ सक्रिय कर रही है, बल्कि उन्हें सांस्कृतिक और पारंपरिक प्रतीकों के माध्यम से पार्टी से जोड़ने की कोशिश भी कर रही है।

भारतMay 29, 2025 / 04:26 pm

Ashish Deep

पीएम नरेंद्र मोदी गुरुवार को बिहार में रोड शो करेंगे. (एएनआई)

ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 26 मई से अलग-अलग राज्यों का दौरा कर रहे हैं। गुजरात के बाद 29-30 मई को सिक्किम, पश्चिम बंगाल, बिहार और यूपी, उसके बाद 31 मई को एमपी… यानी 6 दिन में 6 राज्यों का दौरा। राजनीतिक पंडित मानते हैं कि यह दौरा केवल विकास योजनाओं की समीक्षा या सरकारी घोषणाओं के लिए नहीं बल्कि चुनावी राजनीति की जमीन तैयार करने का एक सोचा-समझा प्रयास है। इस दौरे का आखिरी पड़ाव भोपाल के जंबूरी मैदान में होगा। जहां होने वाला महिला सशक्तीकरण सम्मेलन, खास तौर पर रणनीतिक रूप से बेहद अहम माना जा रहा है। आयोजन का थीम है-‘सिंदूर’ और इसमें प्रधानमंत्री मोदी खुद मौजूद रहेंगे।

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बिहार में महिलाएं सिंदूर लगाकर करेंगी स्वागत

बिहार में महिलाएं सिंदूर लगाकर पीएम मोदी का स्वागत करेंगी। पीएम शाम 4.30 बजे पटना एयरपोर्ट से बीजेपी कार्यालय तक रोड शो करेंगे। पटना की सड़कों पर ऑपरेशन सिंदूर के पोस्टर भी लगाए गए हैं।

व्यापक राजनीतिक संदेश देने वाला

बीजेपी ने अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती पर होने वाले इस कार्यक्रम को लेकर जिस तरह की तैयारियां की हैं, वह साफ संकेत देती हैं कि यह आयोजन सिर्फ प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि व्यापक राजनीतिक संदेश देने वाला है। सम्मेलन में हर मंडल से 20 महिलाएं बुलाई गई हैं, जो सिंदूरी साड़ी में दिखेंगी। मंच संचालन से लेकर वाहन, भोजन तक की पूरी व्यवस्था महिला कार्यकर्ताओं के हाथों में होगी।

महिला वोटबैंक को सक्रिय करेगी

इस आयोजन के जरिए बीजेपी महिला वोटबैंक को न सिर्फ सक्रिय कर रही है, बल्कि उन्हें सांस्कृतिक और पारंपरिक प्रतीकों के जरिए पार्टी से जोड़ने की कोशिश भी कर रही है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत यह पहला मौका है, जब प्रधानमंत्री सीधे महिला शक्ति के बीच एक सशक्त सांस्कृतिक प्रतीक के साथ खड़े होंगे।

दो साल में 13 राज्यों में चुनाव हैं

राजनीतिक मामलों के जानकार रंजीत कुमार बताते हैं कि यह आयोजन सिर्फ मध्य प्रदेश की राजनीति तक सीमित नहीं है। दो साल में देश के 13 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इनमें बिहार, पश्चिम बंगाल, गुजरात, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, पंजाब जैसे राजनीतिक रूप से निर्णायक राज्य शामिल हैं। इन राज्यों में कुल 288 लोकसभा सीटें हैं, जिनमें से 135 पर एनडीए का कब्जा है।

राष्ट्रवाद, संस्कृति और महिला शक्ति

यही वजह है कि प्रधानमंत्री का यह राष्ट्रव्यापी दौरा और उसमें महिलाओं के लिए सिंदूर सम्मेलन जैसा आयोजन, एक ही चुनावी रणनीति की भिन्न धाराओं को दर्शाता है-राष्ट्रवाद, संस्कृति व महिला शक्ति। यह एक लेवल ऊपर की रणनीति है, जहां चुनावी समीकरण सीधे भावनात्मक, सामाजिक और सांस्कृतिक जुड़ाव से बनाए जा रहे हैं। यह आयोजन बीजेपी के लिए महिला शक्ति को साधने का मंच है और विपक्ष के लिए एक गंभीर चुनौती, क्योंकि यहां मुकाबला सिर्फ नीतियों या घोषणाओं का नहीं, बल्कि भावनात्मक जुड़ाव और सांस्कृतिक प्रतीकों का है।

बीजेपी की भविष्य की रणनीति

सवाल यह है कि क्या ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के जरिए बीजेपी राष्ट्रवाद को महिला सशक्तीकरण से जोड़कर चुनावी जमीन और मजबूत करेगी? या यह सिर्फ एक दृश्यात्मक आयोजन बनकर रह जाएगा? फिलहाल इतना तय है कि भोपाल का जंबूरी मैदान 31 मई को सिर्फ एक आयोजन स्थल नहीं, बल्कि बीजेपी की भविष्य की रणनीति का लाइव पोस्टर बनने जा रहा है।
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पिछले 3 चुनाव में कैसे भुनाया

यह कोई पहला मौका नहीं है जब बीजेपी ने ऐसे मौकों का सियासी फायदा नहीं लिया।
1- 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी की छवि को राष्ट्रवादी सिंबल की तरह पेश किया गया। उनके गुजरात मॉडल को भी प्रमोट किया गया।
2-2019 में बालाकोट एयरस्ट्राइक और महिला सशक्तिकरण योजनाओं (उज्ज्वला, जनधन, शौचालय) को राष्ट्रवाद के साथ जोड़ा गया।
3-2022 और 23 के यूपी व एमपी विधानसभा चुनाव में सुरक्षा, लाडली बहना, फ्री राशन जैसी योजनाओं से महिला वोट अपनी ओर खींचे।

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