वहीं 11 दिसंबर 2019 को शीर्ष अदालत ने इस आदेश को संशोधित करते हुए टीटीजेड के भीतर गैर-वन और निजी भूमि पर पेड़ों की कटाई के लिए पूर्व अनुमति की आवश्यकता को हटा दिया था।
जस्टिस अभय एस ओका और उज्जवल भुइयां की पीठ ने कहा कि ताजमहल से 5 किलोमीटर की दूरी से परे टीटीजेड के भीतर के क्षेत्रों में पेड़ों की कटाई के लिए केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) के प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) की पूर्व अनुमति की आवश्यकता होगी और अधिकारी उत्तर प्रदेश वृक्ष संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों से बंधे होंगे।
पीठ ने कहा कि हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि अपवाद केवल तभी लागू होगा जब पेड़ों को गिराना अत्यंत आवश्यक हो, क्योंकि यदि पेड़ों को गिराने की कार्रवाई तत्काल नहीं की गई तो मानव जीवन की हानि की संभावना हो सकती है।
कोर्ट ने आगरा स्थित एक ट्रस्ट की एक अन्य याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें निजी भूमि पर पेड़ों को गिराने के लिए पूर्व अनुमति लेने की शर्त में ढील देने की मांग की गई थी।
बता दें कि टी.टी.जेड. करीब 10,400 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। यह यूपी के आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, हाथरस और एटा जिलों तथा राजस्थान के भरतपुर जिले में फैला हुआ है।