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किताबी ज्ञान व ट्रेनिंग नहीं, प्रत्यक्ष अनुभव जरूरी
बेंच ने कहा कि केवल कानून की किताबों से मिला ज्ञान और न्यायिक अकादमियों में मिली ट्रेनिंग कानूनी पेशे में प्रत्यक्ष तौर पर काम से मिले अनुभव का स्थान नहीं ले सकती। ये तभी संभव है जब कैंडिडेट ने वास्तव में कोर्ट का काम देखा हो। समझा हो कि वकील और जज कोर्ट में कैसे काम करते हैं। बेंच ने कहा कि ज्यादातर हाईकोर्ट ने न्यायिक सेवा के लिए निश्चित अनुभव की अनिवार्यता लागू करने पर सहमति जताई है।फैसले में यह दिए निर्देश
-अभ्यर्थी के पास न्यूनतम 10 साल की वकालत वाले वकील का 3 साल का अनुभव प्रमाण पत्र लेना होगा, इसे स्थानीय न्यायिक अधिकारी प्रमाणित करेगा।-वकालत की प्रेक्टिस की अवधि अस्ठाई बार नामांकन से मानी जाएगी।
-लॉ-क्लर्क के रूप में काम कर रहे लॉ-ग्रेजुएट की सेवाएं अनुभव में शामिल होंगी।