न्यायपालिका की गरिमा को वीडियो से पहुंचा ठेस
शुक्ला ने अपने यूट्यूब चैनल ‘द प्रिन्सिपल’ पर एक वीडियो में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीशों के खिलाफ आपत्तिजनक, मानहानिकारक और अवमाननापूर्ण टिप्पणियां की थीं। इन टिप्पणियों को न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला माना गया। मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई की अगुआई वाली तीन जजों की बेंच, जिसमें जस्टिस ए. जी. मसीह और ए. एस. चंद्रुकर भी शामिल थे ने स्वतः संज्ञान लेते हुए इस मामले में सख्त आदेश दिया है। कोर्ट ने साफ कहा कि अजय शुक्ला द्वारा अपलोड किया गया वीडियो तुरंत हटाया जाए।
यूट्यूबर अजय शुक्ला पर कोर्ट ने की कार्यवाही
सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ ने कहा कि यूट्यूबर और डिजिटल चैनल ‘वरप्रद मीडिया प्राइवेट लिमिटेड’ के एडिटर-इन-चीफ अजय शुक्ला ने अपने वीडियो में सुप्रीम कोर्ट के कुछ वरिष्ठ जजों के खिलाफ तीखे और आपत्तिजनक आरोप लगाए हैं। पीठ ने कहा कि यूट्यूब पर इस तरह के आपत्तिजनक आरोपों का व्यापक प्रसार न्यायपालिका जैसी गरिमामयी संस्था की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि संविधान हमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जरूर देता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि कोई व्यक्ति न्यायालय के जजों के खिलाफ अपमानजनक और झूठे आरोप लगा सकता है। यह अधिकार कुछ सीमाओं के साथ आता है, खासकर जब बात न्यायपालिका की इज्जत की हो।
पीठ ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया है कि वह इस मामले को स्वतः संज्ञान (suo motu) अवमानना के रूप में दर्ज करे। साथ ही, कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को इस मामले में मदद करने के लिए कहा है।
यह साफ नहीं हो पाया है कि सुप्रीम कोर्ट ने किस वीडियो पर लिया एक्शन
हालांकि सुप्रीम कोर्ट फिलहाल आंशिक तौर पर काम कर रहा है, लेकिन इस मामले की सुनवाई तब होगी जब कोर्ट पूरी तरह से सक्रिय होगा। फिलहाल यह साफ नहीं हो पाया है कि सुप्रीम कोर्ट ने अजय शुक्ला के खिलाफ कौन-सी टिप्पणी पर स्वतः संज्ञान लेकर मामला दर्ज किया है। लेकिन, शुक्ला के यूट्यूब चैनल की जांच में यह बात सामने आई है कि उन्होंने हाल ही में न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की सेवानिवृत्ति पर एक वीडियो पोस्ट किया था। इस वीडियो के कैप्शन में न्यायमूर्ति त्रिवेदी को ‘गोदी जज’ कहा गया है।
यह शब्द उन लोगों या संस्थानों के लिए इस्तेमाल होता है जो सरकार के इशारे पर काम करते हैं। इस कारण से सुप्रीम कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई शुरू की है।