क्या है 1991 का समझौता
1991 में भारत और पाकिस्तान के बीच “दोनों देशों के बीच अग्रिम सूचना पर सैन्य अभ्यास, युद्धाभ्यास और सैन्य टुकड़ियों की तैनाती” से संबंधित समझौता हुआ। यह समझौता 6 अप्रेल 1991 में हुआ था। इसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच विश्वास निर्माण और तनाव कम करना था, विशेष रूप से सीमा पर सैन्य गतिविधियों को लेकर पारदर्शिता सुनिश्चित करना था।
1991 के समझौते की राहुल गांधी को दिलाई याद
बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने सोसल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा- राहुल गांधी यह आपकी बनाई हुई सरकार के समय का समझौता है। 1991 में आपकी पार्टी समर्थित सरकार ने यह समझौता किया कि किसी भी आक्रमण या सेना के मूवमेंट की जानकारी का आदान प्रदान भारत व पाकिस्तान एक दूसरे से करेगा। क्या यह समझौता देशद्रोह है? कांग्रेस का हाथ पाकिस्तानी वोट बैंक के साथ, विदेश मंत्री जयशंकर पर आपत्तिजनक टिप्पणी आपको शोभा देता है? ‘हम पाकिस्तान को आंतकवादी राष्ट्र मानते है’
बीजेपी सांसद दुबे ने कहा कि 1947 से ही हम पाकिस्तान को आतंकवादी राष्ट्र मानते है। उन्होंने कहा कि हम पाकिस्तान से कश्मीर के मुद्दे पर लड़ रहे हैं और हमारे हिस्से के कश्मीर पर पाकिस्तान ने कब्जा कर रखा है। उसके बाद भी कांग्रेस पाकिस्तान को रियायतें देती रही है। चाहे वो 1950 का नेहरू-लियाकत समझौता हो, सिंधु जल संधि हो, 1975 का शिमला समझौता हो।
राहुल गांधी के सवाल वाजिब थे- कांग्रेस
बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के बयान पर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा उनकी बात से स्पष्ट हो गया है कि राहुल गांधी ने जो सवाल उठाए थे वे वाजिब थे। कुछ दिन पहले राहुल गांधी के सवाल को विदेश मंत्री ने खारिज कर दिया था। सीधे तौर पर कहा जाए तो विदेश मंत्री एस. जयशंकर के तथ्य को उन्हीं की पार्टी के लोग खारिज कर रहे हैं। यह लोग सदन का सत्र क्यों नहीं बुलाते हैं? ‘1991 में शांति का माहौल था’
उन्होंने आगे कहा कि जिस समय वह(1991 का समझौता) समझौता हुआ, उस समय शांति का माहौल था। राहुल गांधी ने सही सवाल पूछे इसलिए वे (भाजपा) लोग बौखला गए हैं और राहुल गांधी की बात का खंडन करने के लिए एक के बाद एक नेताओं को तैनात किया जा रहा है। आप(भाजपा) मान लीजिए कि आपसे गलती हुई है।