ठेकेदार और टेंडर प्रक्रिया समाप्त, डीएम ऑफिस में आवेदन
सीएम रेखा गुप्ता ने कैबिनेट बैठक के बाद कांवड़ यात्रा के संबंध में लिए गए फैसलों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पहले कांवड़ यात्रा के आयोजन में भ्रष्टाचार की समस्याएं आती थीं। कई बार यह देखा गया था कि सरकार द्वारा दिए गए पैसे का वास्तविक लाभ कांवड़ समितियों तक नहीं पहुंचता था। इस बार सरकार ने पूरी प्रक्रिया में बदलाव किया है। अब दिल्ली सरकार की ओर से कांवड़ समितियों को सीधा पैसा मिलेगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए किसी ठेकेदार की आवश्यकता नहीं होगी और कोई टेंडर भी नहीं लिया जाएगा। रजिस्टर्ड कांवड़ समितियां अब डीएम ऑफिस से आवेदन करेंगी और एक सिंगल विंडो सिस्टम के तहत उन्हें सभी मंजूरी एक ही जगह से 72 घंटे के भीतर मिल जाएगी। कांवड़ियों के सेवा में लगी समितियों को होगा सीधा फायदा
सीएम ने बताया कि वर्षों से पिछली सरकारों ने कांवड़ यात्रा के आयोजन को भ्रष्टाचार का अड्डा बना दिया था। दिल्ली में टेंट और अन्य व्यवस्थाओं के लिए टेंडर दिए जाते थे, और केवल 2-3 लोग ये टेंडर उठा लेते थे। इससे बाकी संस्थाओं को केवल नाममात्र का फायदा होता था। बहुत बार तो कांवड़ समितियों से कहा जाता था कि वह खुद इंतजाम करें और सरकार पैसा देगी, लेकिन इससे संस्थाओं को वास्तविक सहायता नहीं मिल पाती थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि अब कांवड़ समितियां सीधे दिल्ली सरकार से राशि प्राप्त करेंगी, जिससे पूरी प्रक्रिया पारदर्शी होगी और भ्रष्टाचार पर काबू पाया जा सकेगा।
कैटेगरी के आधार पर होगा राशि का वितरण
दिल्ली सरकार ने इस बार राशि के वितरण के लिए चार कैटेगरी बनाई है। इसमें कम से कम 50 हजार रुपये और अधिकतम 10 लाख रुपये तक की राशि दी जाएगी, जो कांवड़ शिविर के आकार और आयोजन के दिनों पर निर्भर करेगी। राशि का भुगतान दो किस्तों में किया जाएगा – 50 फीसदी भुगतान पहले और बाकी 50 फीसदी आयोजन के बाद किया जाएगा। इसके साथ ही सभी बिलों का निपटान तीन महीने के भीतर किया जाएगा। जो कांवड़ समितियां अभी तक रजिस्टर्ड नहीं हैं, वे 30 जुलाई तक रजिस्ट्रेशन करवा सकती हैं और फिर आवेदन कर सकती हैं। कांवड़ शिविरों को 1200 यूनिट तक बिजली मुफ्त
दिल्ली सरकार ने कांवड़ शिविरों को मुफ्त बिजली देने का भी ऐलान किया है। मुख्यमंत्री गुप्ता ने बताया कि कांवड़ शिविरों में 1200 यूनिट तक बिजली की खपत का खर्च दिल्ली सरकार वहन करेगी। पिछले सालों के आंकड़ों के अनुसार, बड़े से बड़े शिविर में भी 1000 यूनिट से अधिक बिजली की खपत नहीं हुई थी, इसलिए 1200 यूनिट तक की मुफ्त बिजली देने का निर्णय लिया गया है। इससे कांवड़ यात्रा के आयोजन में अतिरिक्त वित्तीय बोझ को कम किया जा सकेगा।
कांवड़ यात्रा के आयोजन में पारदर्शिता लाने का प्रयास
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस फैसले को ऐतिहासिक कदम बताया और कहा कि इससे कांवड़ यात्रा के आयोजन में पारदर्शिता आएगी और कांवड़ियों के सेवा में जुटी समितियों को सही समय पर मदद मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि अब कांवड़ यात्रा के आयोजन में सरकार की मदद से कांवड़ियों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी और किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार को खत्म किया जाएगा। यह बदलाव दिल्ली सरकार की पहल का हिस्सा है, जिसके तहत सरकारी प्रक्रियाओं को सरल और पारदर्शी बनाने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। कांवड़ यात्रा के आयोजन में इन सुधारों का स्वागत किया जा रहा है, और उम्मीद की जा रही है कि इस साल सावन में कांवड़ यात्रा को लेकर पहले से बेहतर व्यवस्थाएं होंगी।