दरअसल, संसदीय एस्टिमेट कमेटी के 75 साल पूरे कर लिए हैं। इस दौरान कमेटी ने वित्तीय अनुशासन, प्रशासनिक दक्षता और प्रणालीगत सुधारों के लिए करीब एक हजार प्रतिवेदन पेश किए हैं। इनमें से करीब 60 फीसदी से अधिक सिफारिशों को सरकारों ने मानकर नीतियां बनाई है। यह नीतियां आमजन को ध्यान में रखकर शिक्षा, स्वास्थ्य, रक्षा, सडक़ परिवहन समेत सभी क्षेत्रों में शामिल रही है। कमेटी के अध्यक्ष संजय जायसवाल बताते हैं कि 17 वीं लोकसभा के दौरान कमेटी ने इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए नीतियां बनाने पर जोर दिया। इसमें कमेटी ने कर छूट, पंजीकर शुल्क माफ करने समेत कुछ अन्य सिफारिश की थी। इस पर कार्यवाही करते हुए केन्द्र सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों पर जीएसटी दर कम की और क्षतिपूर्वक उपकर को शून्य रखा। केन्द्रीय सडक़ एवं परिवहन मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर राज्यों को इलेक्ट्रिक वाहनों पर रोड टैक्स माफ करने का सुझाव दिया। इससे इलेक्ट्रिक वाहनों की दरों में कमी हुई।
तकनीक से वित्तीय निगरानी को मजबूत करनी होगी-बिरला
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संसद और राज्यों के विधानमंडलों की एस्टिमेट कमेटियों के सभापतियों के राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी, प्रशिक्षण और जन-केंद्रित शासन के माध्यम से वित्तीय निगरानी को मजबूत करने की जरूरत है। उन्होंने सार्वजनिक व्यय में अधिक पारदर्शिता, जवाबदेही और दक्षता सुनिश्चित करने में वित्तीय अनुशासन के महत्व पर जोर दिया। शासन को लोगों की जरूरतों पर ध्यान देना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वित्तीय निगरानी तंत्र न केवल प्रभावी हो बल्कि समावेशी और लोगों के सरोकारों के प्रति उत्तरदायी भी हो।
जमीन पर उतरी कमेटी तो बन गई पुलिस जवानों की आवास नीति
महाराष्ट्र की एस्टिमेट कमेटी सरकार की योजनाओं की जमीनी हकीकत जानने पूना दौरे पर थी। इस दौरान वहां के पुलिस आयुक्त कमेटी को अपने सरकारी घर ले गए और वहां बॉथरूम दिखाया। पुलिस आयुक्त ने कमेटी से कहा कि उनके घर में 500 वर्गफीट का बॉथरूम है, जबकि पुलिस के जवानों को 300 वर्ग फीट का मकान भी नहीं मिलता है। इसके बाद कमेटी ने पुलिस के जवानों के लिए 500 से 600 वर्ग फीट के मकान बनाकर आवंटित करने की सिफारिश की, जिस पर महाराष्ट्र सरकार ने पुलिस के लिए आवास नीति बनाई।