दरअसल, पंचायती राज मंत्रालय ने इस मॉडल को गुरुग्राम स्थित हरियाणा लोक प्रशासन संस्थान में भूमि प्रशासन पर पहली अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला में प्रस्तुत किया। इस छह दिवसीय में अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और दक्षिण-पूर्वी एशिया के 22 देशों के 44 वरिष्ठ अधिकारी वैश्विक भूमि शासन चुनौतियों के समाधान के लिए नवीन दृष्टिकोणों का पता लगाने के लिए एकत्र हुए हैं। पंचायती राज मंत्रालय के अपर सचिव सुशील कुमार लोहानी ने कहा कि स्वामित्व सिर्फ जमीन का नक्शा बनाने का काम नहीं है, यह सुरक्षित संपत्ति अधिकारों के जरिए गांवों को सशक्त और समृद्ध बनाने का एक पूरा तरीका है। भूमि प्रशासन में भू-स्थानिक तकनीकों की बदलाव लाने वाली भूमिका पर जोर दिया। ड्रोन तकनीक को पुराने सर्वेक्षण तरीकों के साथ जोडऩे से गांवों के आबादी वाले क्षेत्रों का नक्शा बनाने के हमारे तरीके में क्रांति आ गई है, जिससे पहले कभी न देखी गई सटीकता और तेजी मिली है।
विदेश मंत्रालय के अपर सचिव विराज सिंह ने कहा कि यह पहल दक्षिण-दक्षिण सहयोग और क्रॉस-लर्निंग / विशेषज्ञता साझा करने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दिखाती है। समान चुनौतियों का सामना करने वाले देशों को एक साथ लाकर, हम पूरी दुनिया में भूमि प्रशासन के मुद्दों को हल करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। इस अवसर पर पंचायती राज मंत्रालय के संयुक्त सचिव आलोक प्रेम नागर और हिपा के महानिदेशक रमेश चंदर बिधान सहित वरिष्ठ अधिकारियों ने विचार रखे।
प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी और प्रदर्शन
प्रदर्शनी में भूमि शासन, डिजिटल कैडस्ट्रल प्रणालियों और भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों में नवीनतम नवाचारों का प्रदर्शन किया गया। प्रतिभागियों ने अस्टेरिया एयरोस्पेस, जेनेसिस इंटरनेशनल, हेक्सागन जियोसिस्टम्स और स्टेसालिट सिस्टम्स और गरुडय़ूएवी जैसे स्वदेशी नवोन्मेषकों के प्रदर्शनों को देखा।
इन देशों की भागीदारी
कार्यशाला में तुर्कमेनिस्तान, कोलंबिया, जिम्बाब्वे, फिजी, माली, लेसोथो, सिएरा लियोन, वेनेजुएला, मंगोलिया, तंजानिया, उज्बेकिस्तान, इक्वेटोरियल गिनी, किरिबाती, साओ टोमे और प्रिंसिपे, लाइबेरिया, घाना, आर्मेनिया, होंडुरास, एस्वातिनी, कंबोडिया, टोगो और पापुआ न्यू गिनी के प्रतिनिधि शामिल हुए।