कब की है घटना?
जेएनयू के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह घटना मई 2023 की है। उस समय जापानी दूतावास की एक अधिकारी ने प्रोफेसर स्वर्ण सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। यह महिला अधिकारी प्रोफेसरों के साथ मिलकर शैक्षणिक कार्यक्रमों का समन्वय करती थीं। आरोपों की गंभीरता को देखते हुए विश्वविद्यालय ने एक आंतरिक जांच समिति का गठन किया। जिसने सभी पक्षों की गवाही और साक्ष्यों की जांच की। जांच पूरी होने के बाद समिति ने अपनी रिपोर्ट विश्वविद्यालय प्रशासन को सौंपी। जिसमें प्रोफेसर स्वर्ण सिंह के खिलाफ स्पष्ट सबूत पाए गए। इसके बाद विश्वविद्यालय ने उन्हें तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया। जेएनयू के एक अधिकारी ने बताया कि जांच के दौरान यौन उत्पीड़न की पिछली शिकायत पर सुनवाई करने वाली संस्था जीएसकैश के दस्तावेज खंगाले गए थे। इनमें उन पर कई पुराने मामले भी मिले हैं। कार्यकारी परिषद की बुधवार को हुई बैठक में प्रोफेसर स्वर्ण सिंह को बर्खास्त करने का फैसला लिया गया। इसके अलावा सात अन्य कर्मचारियों पर भी कार्रवाई की गई है। इसमें प्रोफेसर स्वर्ण सिंह को बिना बेनिफिट्स बर्खास्त किया गया है।
इसका आशय है संस्थान में दी गई सेवाओं का उन्हें लाभ नहीं मिलेगा। जेएनयू की कुलपति शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित ने स्पष्ट किया है कि विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार और शारीरिक शोषण के मामलों में कोई भी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यह निर्णय संस्थान की जीरो टॉलरेंस नीति का प्रमाण है। उन्होंने बताया कि पहली बार छात्रों को आंतरिक शिकायत समिति (ICC) में प्रतिनिधित्व दिया गया है, जो जेएनयू की लोकतांत्रिक परंपरा को सुदृढ़ करता है।
कौन हैं प्रोफेसर स्वर्ण सिंह?
जेएनयू की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, प्रोफेसर स्वर्ण सिंह स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में सेंटर फॉर इंटरनेशनल पॉलिटिक्स, ऑर्गनाइजेशन एंड डिजास्टर मैनेजमेंट के वरिष्ठ फैकल्टी सदस्य थे। उनका अकादमिक रिकॉर्ड काफी प्रभावशाली रहा है। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से पॉलिटिकल साइंस में मास्टर्स की डिग्री प्राप्त की थी। इसके बाद उन्होंने जेएनयू से इंटरनेशनल स्टडीज में पीएचडी पूरी की। इतना ही नहीं, उन्होंने स्वीडन से कॉन्फ्लिक्ट रिजॉल्यूशन में पोस्ट डॉक्टरल डिप्लोमा भी किया है।
जेएनयू में लंबा कार्यकाल
प्रोफेसर स्वर्ण सिंह ने वर्ष 2001 में जेएनयू में फैकल्टी के रूप में योगदान दिया था। इससे पहले वे इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस (IDSA) में कार्यरत थे। जहां उन्होंने साल 1992 से साल 2001 तक अपनी सेवाएं दीं। उनके अकादमिक और प्रशासनिक अनुभव के चलते उन्हें जेएनयू में साल 2012 से साल 2014 तक चीफ विजिलेंस ऑफिसर की जिम्मेदारी भी दी गई थी। इसके अलावा वे एसोसिएशन ऑफ एशियन स्टडीज के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। इसी बीच साल 2023 में प्रोफेसर स्वर्ण सिंह पर जापानी दूतावास की महिला अधिकारी के यौन उत्पीड़न का आरोप लगा। इससे जेएनयू प्रशासन में खलबली मच गई थी। जेएनयू में महत्वपूर्ण पदों पर रहने वाले प्रोफेसर स्वर्ण सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगने के बाद पूरे विश्वविद्यालय में इसकी चर्चा शुरू हो गई। इसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक समिति बनाकर इसकी जांच के आदेश दिए। हालांकि मामला जापानी दूतावास की महिला अधिकारी से जुड़ा होने के कारण यह चर्चा का विषय बना रहा। जांच समिति की रिपोर्ट आने के बाद घटना के करीब डेढ़ साल बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने आरोपी प्रोफेसर स्वर्ण सिंह को नौकरी से बर्खास्त कर दिया।
रिसर्च प्रोजेक्ट में धांधली में एक और प्रोफेसर बर्खास्त
जेएनयू में यह अकेला मामला नहीं है। विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभाग के एक अन्य प्रोफेसर को भी बर्खास्त किया गया है। उन पर एक रिसर्च प्रोजेक्ट में वित्तीय अनियमितताओं और घोटाले का आरोप लगा है। यह मामला अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंप दिया गया है। सीबीआई ने इसकी स्वतंत्र जांच शुरू भी कर दी है। पर्यावरण विज्ञान विभाग के प्रो. एएल रामनाथन के खिलाफ वित्तीय अनियमितता और घोटाले के साक्ष्य मिलने के बाद उनकी सेवा समाप्त की गई। जबकि भ्रष्टाचार के मामले में डा. राजीव सिजरिया को निलंबित किया गया है। भ्रष्टाचार एवं अनुशासनहीनता में शामिल दो गैर-शिक्षण कर्मचारियों की सेवा भी खत्म की गई।