इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक, यह परियोजना दिल्ली विशेषकर लुटियंस क्षेत्र और मध्य दिल्ली में भीड़भाड़ कम करने के दो प्रस्तावों का हिस्सा है। अधिकारियों ने बताया कि दूसरा प्रस्ताव एक एलिवेटेड कॉरिडोर या सुरंग है। ये दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के समापन बिंदु को एम्स से महिपालपुर बाईपास तक प्रस्तावित एलिवेटेड कॉरिडोर से जोड़ेगा। दिल्ली सरकार इस परियोजना पर भी काम कर रही है।
33 किलोमीटर के सफर में अभी लगता एक-डेढ़ घंटा
अधिकारियों का कहना है कि मौजूदा समय में दिल्ली से गुरुग्राम के बीच करीब 33 किलोमीटर का सफर पूरा करने में अभी एक घंटे से ज्यादा समय लगता है, लेकिन इन परियोजनाओं के पूरा होने पर यह सफर मात्र 25 से 30 मिनट में पूरा हो जाएगा। इसके साथ ही यह परियोजनाएं लुटियंस दिल्ली और मध्य दिल्ली के यातायात का दबाव कम करने की दिशा में बड़ा कदम मानी जा रही हैं।
एलिवेटेड कॉरिडोर और सुरंग का प्रस्ताव
केंद्र सरकार ने एम्स से महिपालपुर तक लगभग 20 किलोमीटर लंबा एलिवेटेड कॉरिडोर प्रस्तावित किया है। जो आगे चलकर गुड़गांव-फरीदाबाद रोड तक फैलेगा। यह एनएच-48 के समानांतर मार्ग के रूप में काम करेगा और महरौली-गुड़गांव रोड व रिंग रोड की भीड़ को कम करने में मदद करेगा। दरअसल, दिल्ली-मेरठ और दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे वर्तमान में सराय काले खां के पास समाप्त होते हैं, जबकि दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे का डीएनडी-सोहना लिंक भी जल्द खुलने वाला है। इन सभी एक्सप्रेसवे का ट्रैफिक लुटियंस दिल्ली और मध्य दिल्ली में पहुंचने से भविष्य में यातायात का भारी दबाव उत्पन्न हो सकता है। इसी को ध्यान में रखते हुए, अधिकारियों ने दिल्ली के इस हिस्से को एम्स से जोड़ने के लिए एलिवेटेड कॉरिडोर और 5 किलोमीटर लंबी सुरंग की योजना बनाई है, जो नेल्सन मंडेला मार्ग के माध्यम से आईजीआई एयरपोर्ट और द्वारका एक्सप्रेसवे को जोड़ेगी।
उच्चस्तरीय बैठक में हुए फैसले
जून माह में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक अहम बैठक में इन दोनों परियोजनाओं पर चर्चा हुई। बैठक में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) को इन दोनों परियोजनाओं की विस्तृत व्यवहार्यता रिपोर्ट (DPR) तैयार करने और आवश्यक बोलियां आमंत्रित करने का निर्देश दिया गया। बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि एलिवेटेड कॉरिडोर और सुरंग को एक समग्र योजना के रूप में लागू किया जाएगा, जिससे दिल्ली-एनसीआर के विभिन्न हिस्सों को निर्बाध संपर्क मिलेगा।
भीड़भाड़ कम करने की नीति पर काम
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय शहरी भीड़भाड़ को नियंत्रित करने के उद्देश्य से एक नई नीति पर भी कार्य कर रहा है। इस नीति के अंतर्गत शहरों में मुख्य मार्गों, विशेष रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों में यातायात दबाव को कम करने के लिए केंद्रीय वित्त पोषण उपलब्ध कराया जाएगा। इसमें यात्रा समय में कमी लाना, इंटरसिटी कनेक्टिविटी को मजबूत करना और सतत विकास सुनिश्चित करना मुख्य उद्देश्य होंगे।
दिल्ली के लिए बड़ी परियोजनाएं
अधिकारियों के अनुसार, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने शहर की सड़क अवसंरचना के पुनर्विकास हेतु केंद्रीय सड़क अवसंरचना निधि (CRIF) से ₹1,500 करोड़ की मांग की है। साथ ही, ₹63,000 करोड़ से अधिक की बड़ी परियोजनाओं पर भी चर्चा की गई, जिनमें से ₹34,589 करोड़ की परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं और जल्द पूरी हो जाएंगी। भीड़भाड़ कम करने के लिए ₹23,850 करोड़ की नई परियोजनाएं प्रस्तावित हैं, जिनसे दिल्ली और एनसीआर के बीच यातायात और संपर्क में उल्लेखनीय सुधार आने की उम्मीद है।