उन्होंने कहा कि जनता की सेवा और कल्याण ही सरकार का मुख्य उद्देश्य है। कर्मचारी से लेकर मंत्री तक सभी इसी दिशा में निरंतर प्रयासरत हैं। यह त्रिदिवसीय शिविर इसी बात पर विचार करेगा कि इन कार्यों को और अधिक प्रभावी और सफल कैसे बनाया जा सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं के समय जिस प्रकार सामूहिक शक्ति का प्रदर्शन हुआ, उसी भावना को रोजमर्रा के कार्यों में भी लागू किया जाना चाहिए। शिविर का मूल उद्देश्य भी यही है कि हम सामूहिक सोच और टीम भावना से लोगों के हित में कार्य करें।
उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को दिन के अंत में अपने कार्यों का आत्ममंथन करना चाहिए। चिंतन से हमारी सोच और व्यवहार में जो परिवर्तन आएंगे, वे समाज के साथ-साथ व्यक्तिगत जीवन में भी लाभकारी होंगे।
मुख्यमंत्री ने मंंत्रियों-अधिकारियों से कहा कि इस शिविर में हम ऐसा विचार-विमर्श करें, जिससे प्रशासनिक सुशासन सुनिश्चित हो और नागरिकों को किसी भी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़े। उन्होंने अधिकारियों से आग्रह किया कि वे अपने कार्यों में समर्पण का भाव दिखाएं और जनहित में पूरी निष्ठा के साथ कार्य करें। यदि किसी नागरिक की समस्या का समाधान संभव नहीं हो, तो भी उससे शालीनता और विवेकपूर्ण तरीके से संवाद करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से प्रारंभ चिंतन शिविर की इस परंपरा में हर बार नए आयाम जोड़े गए हैं। यह शिविर उसी दिशा में एक और कदम है। मुख्य सचिव राज कुमार ने कहा कि चिंतन निरंतर चलनेवाली प्रक्रिया है। कार्य के साथ उसके उद्देश्य को जोड़ने से वह रुचिदायक और बेहतर परिणाम योग्य बन जात है। इस अवसर पर वित्त मंत्री कनू देसाई, मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार डॉ. हसमुख अढ़िया, अतिरिक्त मुख्य सचिव, विभाग प्रमुख, कलक्टर, जिला विकास अधिकारी,और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।