नल सरोवर बना हॉटस्पॉट नल सरोवर, नडा बेट, बोरिया बेट, थोल जैसे स्थान लगभग 50 हजार से अधिक स्थानीय और प्रवासी पक्षियों के हॉटस्पॉट बन गए हैं। वर्ष 2010 में थोल पक्षी अभयारण्य में 31,380 प्रवासी पक्षी आए थे, जो वर्ष 2024 में बढ़कर 1.11 लाख हो गए। अहमदाबाद जिले के नल सरोवर में वर्ष 2010 में 1.31 लाख प्रवासी पक्षी दर्ज हुए थे, जबकि वर्ष 2024 में यह संख्या 3.62 लाख हो गई। गत 14 वर्षों में थोल और नल सरोवर पक्षी अभयारण्यों में प्रवासी पक्षियों की संख्या में क्रमशः 355 फीसदी और 276 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। खिजड़िया पक्षी अभयारण्य में भी 1.50 लाख से अधिक पक्षी दर्ज हुए हैं। कच्छ की छारी ढंढ वेटलैंड 22,700 हेक्टेयर क्षेत्र में 150 से अधिक प्रजातियों के 30,000 से अधिक पक्षी सुरक्षित रूप से निवास करते हैं। पोरबंदर में मोकरसागर भी 100 से अधिक प्रजातियों के लगभग 30,000 पक्षियों का घर बना है।
गुजरात में ई-बर्ड से पक्षी गणना गुजरात पक्षी गणना के लिए ई-बर्ड प्लेटफॉर्म का उपयोग कर रहा है। इस सर्वेक्षण में 398 ई-बर्ड चेकलिस्ट से डाटा एकत्रित कर 300 से अधिक पक्षी प्रजातियों का दस्तावेजीकरण किया गया। बनासकांठा, जामनगर, कच्छ, अहमदाबाद, पोरबंदर, सूरत और देवभूमि द्वारका जैसे जिलों में 13 विलुप्त होने के निकट, 4 विलुप्त , 7 संवेदनशील और 1 गंभीर रूप से विलुप्त प्रजातियों का अवलोकन किया गया। देश में पहली बार मरीन नेशनल पार्क-जामनगर में समुद्री तटीय व खिजड़िया पक्षियों की गणना की गई।
गिद्ध संरक्षण को बनी समिति राज्य सरकार ने गिद्ध संरक्षण और अध्ययन के उद्देश्य से वाइल्डलाइफ के प्रिंसिपल चीफ कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट के अध्यक्ष पद के तहत 11 सदस्यीय समिति भी गठित की है।